प्यार प्रीति वह संजीवनी
जिससे सुख पाए संसार
इससे बड़ा नहीं गुण कोई
इससे बड़ा नहीं आधार
प्रेम से मिले जगत विजय
मिलें प्रेम से ही भगवान
प्राणी मात्र का स्नेह मिले
मिल जाए प्रेम से ज्ञान
प्रेम तो वह अनुपम निधि
न जिसका कोई मूल्य
मानव जीवन का सार ये
न कोई प्रेम के तुल्य।
सत्यप्रकाश पाण्डेय