जब भी खुले आंख मेरी भोर में रब से मांगी दुआ है तुम्हारे लिए।
*तुम्हारे लिए*
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जब भी खुले आंख मेरी भोर में
रब से मांगी दुआ है तुम्हारे लिए।
प्यार करती हूं तुमसे में भी जानेमन,
दिल धड़कता सदा है तुम्हारे लिए।
इन जुल्फों से जब भी तुम खेला किये,
पलकें भी शरमा के झट झुक गईं।
चुनरी जो मेरी हवा में उड़ी तो
शरमा के यूँ में सिमट सी गई ।
दिलो जान सब कुछ निछावर
तुम्हीं पर,
मेरा जो है सब कुछ तुम्हारे
लिए है।
तुम ख्वाबों में आते हो हर रात क्यों?
जब कि सारे ये सावन तुम्हारे
लिए हैं।
हो रूह में मेरी बसे इस तरह
आती जाती सांसे तुम्हारे लिए हैं।
ये शरीर तो नश्वर मेरी जान है
रूह का रिश्ता तुम्हारे लिए है।
स्व रचित
मौलिक
🌹🙏 उत्तरांचली🙏🌹