तेरा राज सर, ताज पर। कभी तुझे, किताबों के,

*मयूर पंख*

तेरा राज सर, ताज पर।
कभी तुझे, किताबों के,
बीच संभाल कर रखता।
अपने अंदर तूने ऊतारा।
नीला रंगीन, गोल चाँद,
रेशमी मखमली, कोमल।
सा सुंदर तेरा हर एक,
कण जो मोहे सबका मन,
कुदरत ने दिया है तुझे।
अनोखा रूप जिसे देख,
कर आँखे हो जाती चुप।

*नीक राजपूत*
*गुजरात*
*9898693535*

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