मैं नारी नदी सी, मेरे दो किनारे*

*मैं नारी नदी सी, मेरे दो किनारे*
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मै नारी नदी सी मेरे दो किनारे।
*एक किनारे ससुराल, दूजी ओर मायका*

दोनों मेरे अपने फिर भी अलग दोनों का जायका।

*एक तरफ मां जिसकी कोख का मैं हिस्सा ।*
दूजी ओर सास जिनके लाल संग जुड़ा मेरे
जीवन भर का किस्सा

*एक तरफ पिता , जिनसे है अपनत्व की धाक।*
दूजी ओर ससुरजी जिनकी हैं सम्मान की साख।

*मायके का आँगन मेरे जन्म की किलकारी*
ससुराल का आँगन मेरे बच्चों की चिलकारी

*मायके में मेरी बहने , मेरी हमजोली*
ससुराल में मेरी ननदे है, शक्कर सी मीठी गोली।

*मायके में मामा, काका है पिता सी मुस्कान*
ससुराल के देवर जेठ हैं तीखे में मिष्टान।

*मायके में भाभी है*
ममता के खजाने की चाबी,*
ससुराल में देवरानी जेठानी
हैं मेरी तरह ही बहती नदी का पानी।

*मायके में मेरा भईया*
एक आस जो बनेगा दुख में मेरी नय्या
ससुराल में मेरे प्राणप्रिय सैया
जो हैं मेरे जीवन के खेवैया।*
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*ससुराल ओर मायका हैं दो नदी की धारा*
जो एक नारी में समाकर नारी को बनाती है सागर सा गहरा।

*नारी शक्ति को प्रणाम*
🌹दास अरुण 🌹

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