लचीलेपन, अनुसंधान और पुनर्निमाण’ से भारत को कोविड-19 महामारी के खिलाफ वैश्विक लड़ाई का नेतृत्व करने में सहायता मिली: उपराष्ट्रपति
‘लचीलेपन, अनुसंधान और पुनर्निमाण’ से भारत को कोविड-19 महामारी के खिलाफ वैश्विक लड़ाई का नेतृत्व करने में सहायता मिली: उपराष्ट्रपति
एक व्यक्ति के लिए चिकित्सा का पेशा गरिमापूर्ण पेशे के रूप में जाना जाता हैः श्री नायडू
भारत में स्वास्थ्य पर अधिक और सामर्थ्य से ज्यादा खर्च पर चिंता व्यक्त की और सभी के लिए गुणवत्तापूर्ण, किफायती स्वास्थ्य सेवाओं का आह्वान किया
उपराष्ट्रपति ने देश में भारत का सबसे बड़ा सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रम चलाने के लिए ईएसआईसी की प्रशंसा की
फरीदाबाद के ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज के पहले स्नातक दिवस समारोह को संबोधित किया
श्री नायडू ने स्नातक डॉक्टरों से अपने मरीजों के उपचार में मानवीय पहलुओं को शामिल करने के लिए कहा
उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने आज कहा कि ‘लचीलेपन, अनुसंधान और पुनर्निमाण’ से भारत को कोविड-19 महामारी के खिलाफ वैश्विक लड़ाई का नेतृत्व करने में सहायता मिली है। उन्होंने महामारी के चलते पैदा हुई चुनौतियों का तकनीकी समाधान खोजने के लिए भारतीय शोधकर्ताओं और वैज्ञानिकों के अथक प्रयास और उनकी प्रतिभा की सराहना भी की।
नई दिल्ली में विज्ञान भवन में आज ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज (फरीदाबाद) के पहले स्नातक दिवस समारोह को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने वायरस के प्रसार की रोकथाम का श्रेय देश के डॉक्टरों, वैज्ञानिकों और नीति निर्माताओं द्वारा किए गए समयबद्ध और निर्णायक उपायों को दिया। उन्होंने कहा, “मैं डॉक्टरों से लेकर नर्सों, पैरा मेडिकल कर्मचारियों और स्वच्छता कर्मचारियों, तकनीशियनों और गांवों में कार्यरत आशा कार्यकर्ताओं तक पूरे स्वास्थ्य क्षेत्र का अभिवादन करता हूं, जिन्होंने महामारी के खिलाफ लड़ाई में एक टीम इंडिया के रूप में एकजुट होकर काम किया।” श्री नायडू ने पीपीई किट्स, सर्जिकल दस्तानों, फेस मास्क, वेंटिलेटर और वैक्सीन जैसे आवश्यक सामानों का उत्पादन बढ़ाने के लिए भारतीय उद्योग की सराहना की। उपराष्ट्रपति ने कोविड-19 महामारी के खिलाफ लड़ाई में ईएसआईसी द्वारा चलाए जा रहे मेडिकल और पैरा मेडिकल संस्थानों की भूमिका की भी सराहना की।
विद्यार्थियों के जीवन में स्नातक समारोह को एक यादगार दिन बताते हुए श्री नायडू ने उनसे सेवा की नई प्रतिबद्धता के साथ अपने जीवन के अगले दौर में प्रवेश करने के लिए कहा। उन्होंने उत्तीर्ण होने वाले विद्यार्थियों से कहा, “मेरा हमेशा से ही ये मानना रहा है कि यदि आप निःस्वार्थ समर्पण भाव से मानवता की सेवा करते हैं, तो आपको असीम संतोष मिलेगा।” चिकित्सा के पेशे को गरिमापूर्ण पेशे के रूप में बताते उपराष्ट्रपति ने सहानुभूति की आवश्यकता और इसमें नैतिकता व मूल्यों के पालन पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “इन मूल्यों से कभी भी समझौता नहीं करना चाहिए।”
समारोह के दौरान, उप राष्ट्रपति यह देखकर काफी खुश हुए कि सभी पदक विजेता लड़कियां थीं। उन्होंने उनको बधाई दी और हर क्षेत्र में महिलाओं को समान अवसर उपलब्ध कराने की जरूरत को रेखांकित किया।
उन्होंने विद्यार्थियों को याद दिलाया कि वे एक ऐसी दुनिया में कदम रख रहे हैं, जहां मौजूदा महामारी के चलते उनके पूर्ववर्तियों की तुलना में ज्यादा जटिल चुनौतियां हैं। वह चाहते हैं कि वे इस कोरोना वायरस के खिलाफ चल रही इस लड़ाई में अग्रणी भूमिका निभाएं।
भारत में कोविड-19 के खिलाफ चल रहे दुनिया के अब तक के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान का उल्लेख करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि महामारी का सबसे खराब दौर खत्म होता सा लग रहा है। हालांकि, उन्होंने लोगों को सतर्क रहने और निर्णायक रूप से वायरस को हराने तक जरूरी सावधानियां बरतने को कहा।
भारत में गैर संचारी रोगों (एनसीडी) के बढ़ते मामलों पर चिंता प्रकट करते हुए, उप राष्ट्रपति ने इस साल की आर्थिक समीक्षा से मिले आंकड़ों का हवाला दिया जिसमें भारत में हुई मौतों में से 65 प्रतिशत की वजह एनसीडी को बताया गया है। उन्होंने एनसीडी में बढ़ोतरी के इस रुझान पर रोक लगाने के लिए सभी हितधारकों से ठोस प्रयास करने का आह्वान किया और ईएसआईसी को शहरी क्षेत्रों में विशेष एनसीडी क्लीनिकों की स्थापना पर विचार करने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि युवा विद्यार्थियों को एनसीडी के मामलों की रोकथाम में स्वस्थ जीवनशैली और पोषणयुक्त खाद्य पदार्थों की भूमिका के बारे में जागरूकता के प्रसार के लिए आसपास की बस्तियों और स्कूलों में जाना चाहिए।
अपने संबोधन में, श्री नायडू ने डॉक्टर-मरीज का कम अनुपात, मेडिकल कॉलेजों की संख्या में कमी, ग्रामीण क्षेत्रों में अपर्याप्त अवसंरचना और कम संख्या में स्वास्थ्य बीमा को अपनाए जाने सहित कई स्वास्थ्य चुनौतियों का उल्लेख किया, जिनका समाधान निकाले जाने की जरूरत है।
भारत में स्वास्थ्य पर सामर्थ्य से ज्यादा खर्च की ऊंची दर पर चिंता जाहिर करते हुए श्री नायडू ने सभी को किफायती दरों पर गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने का आह्वान किया।
उपराष्ट्रपति ने भारत का सबसे बड़ा सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रम चलाने के लिए ईएसआईसी की प्रशंसा की। यह कार्यक्रम देश की लगभग 10 प्रतिशत जनसंख्या को कवर करता है। हालांकि, उन्होंने बेहतर ग्राहक अनुभव, शिकायत समाधान और उत्तम स्वास्थ्य नतीजों को सुनिश्चित करने के लिए सुधार की संभावनाओं पर प्रकाश डाला और सुरक्षा व हर कर्मचारी का स्वास्थ्य सुनिश्चित करने के लिए ईएसआईसी में बड़े सुधारों की शुरुआत करने के लिए श्रम एवं रोजगार मंत्रालय की सराहना की।
श्री नायडू ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (एनएचए) के साथ एमओयू, जिसमें चुनिंदा जिलों में ईएसआईसी योजना के लाभार्थी आयुष्मान भारत सूचीबद्ध अस्पतालों में सेवाएं हासिल कर सकते हैं, जैसी कई नई पहल और मामूली उपयोग शुल्क के आधार पर कम उपयोग वाले अस्पतालों को आम जनता के लिए खोलने की ईएसआईसी की पहल की सराहना की।
श्री नायडू ने इस पर संतोष व्यक्त किया कि विशिष्ट सुविधाओं और उच्च कुशल पेशेवरों के कारण क्षेत्र में भारत आकर्षक चिकित्सा पर्यटन के केन्द्र के रूप में उभर रहा है।
मूल्यों को शामिल करने और जीवन में सच्चे मार्ग के पालन के महत्व पर जोर देते हुए उपराष्ट्रपति ने स्नातक डॉक्टरों से अपने मरीजों के इलाज के दौरान मानवीय पहलुओं को शामिल करने के लिए कहा। उन्होंने विद्यार्थियों को बताया, “आप जहां कहीं भी जाएं, प्रकाश और आशावाद का संचार करें। साथ ही उन लोगों की मदद करें जो मुश्किल में फंसे हों।”
इस कार्यक्रम में केन्द्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री संतोष कुमार गंगवार, श्रम एवं रोजगार मंत्रालय में सचिव श्री अपूर्व चंद्रा, ईएसआईसी की महानिदेशक श्रीमती अनुराधा प्रसाद, ईएसआईसी कॉलेज, फरीदाबाद के डीन डॉ. असीम दास, शिक्षकों और छात्रों ने भाग लिया।