नमामि गंगे: विश्व आद्रभूमि दिवस 2021 के अवसर पर व्यापक स्तर के वैज्ञानिक और समुदाय आधारित कार्यक्रमों का शुभारंभ
नमामि गंगे: विश्व आद्रभूमि दिवस 2021 के अवसर पर व्यापक स्तर के वैज्ञानिक और समुदाय आधारित कार्यक्रमों का शुभारंभ
बेसिन प्रबंधन योजना से आद्रभूमि संरक्षण को जोड़ने के लिए भारत में नमामि गंगे प्रथम कार्यक्रम: केंद्रीय जल शक्ति मंत्री
जल शक्ति मंत्रालय के स्वच्छ गंगा हेतु राष्ट्रीय मिशन (एनएमसीजी) और भारत जल फाउंडेशन (आईडब्ल्यूएफ) ने आर्द्रभूमियों के संरक्षण और कायाकल्प के संदर्भ में जागरूकता बढ़ाने के लिए विश्व आर्द्रभूमि दिवस 2021 मनाया।
इस वर्ष के विश्व आर्द्रभूमि दिवस का विषय आर्द्रभूमि को एक स्वच्छ जल के स्रोत के रूप में संरक्षित करने की दिशा में कार्य करने को प्रोत्साहन देने और उसके नुकसान को रोकने पर ध्यान केन्द्रित करता है। जल शक्ति मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने सभी जल निकायों की परस्पर संबद्धता और एक दूसरे को बनाए रखने में उनकी अविरलता और निर्मलता की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि नमामि गंगे अपने तरह का पहला कार्यक्रम है जहां आर्द्रभूमि का संरक्षण बेसिन प्रबंधन योजना के साथ एकीकृत है। उन्होंने कहा कि आर्द्रभूमि संरक्षण के लिए एनएमसीजी द्वारा किए गए अभिनव कार्य नदी के कायाकल्प से जुड़े हैं और यह पूरे देश को एक मॉडल प्रारूप के रूप में मदद करेंगे। उन्होंने कहा कि सभी हितधारकों को स्थायी भविष्य बनाने के लिए पर्यावरण के संरक्षक के रूप में कार्य करना होगा। आर्द्रभूमि दिवस के अवसर पर, 50 से ज्यादा गंगा जिलों में से प्रत्येक में 10 आर्द्रभूमियों के हेल्थ कार्ड और प्रबंधन को विकसित करने के लिए एक व्यापक स्तर का वैज्ञानिक और समुदाय-आधारित कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया।
जल शक्ति राज्यमंत्री श्री रतन लाल कटारिया ने सामाजिक-पारिस्थितिक प्रणाली में आर्द्रभूमि की अभिन्न भूमिका पर बल देते हुए कहा कि देश की जैव- विविधता को बनाए रखने के लिए आर्द्रभूमि बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि आर्द्रभूमि पर काफी सारी जानकारी उपलब्ध है, नियामक प्रारूप भी मौजूद है, लेकिन जमीनी स्तर पर उन्हें मजबूत करने और लोगों में जागरूकता लाने की आवश्यकता है। विभिन्न पर्यावरणीय मुद्दों के समाधान में आर्द्रभूमि की भूमिका पर चर्चा करते हुए यूएनईपी के भारत स्थित कार्यालय के प्रमुख श्री अतुल बगई ने कहा कि हमें यह देखने की आवश्यकता है कि मरुस्थलीकरण और प्रवासी प्रजातियों के मुद्दों का समाधान करने के मामले में आर्द्रभूमि कितनी उपयोगी हो सकती है। आर्द्रभूमि संरक्षण के संबंध में हम आशा करते हैं कि भारत कई अन्य क्षेत्रों की तरह से इस क्षेत्र में भी फिर से नेतृत्व सँभालेगा।
जल शक्ति मंत्रालय के सचिव श्री पंकज कुमार ने हाल के दिनों में आर्द्रभूमियों के प्रति बढ़ती जागरूकता पर अपने विचार साझा करते हुए कहा कि एनएमसीजी न केवल गंगा बल्कि इससे जुड़े शहरों और उनकी आर्द्रभूमियों सहित समग्र नदी बेसिन के कायाकल्प के लिए कार्य करता है। उन्होंने कहा कि विश्व आर्द्रभूमि दिवस जैसे कार्यक्रम हमें इस समग्र दृष्टिकोण को जारी रखने के लिए प्रोत्साहन देते हैं। एनएमसीजी के महानिदेशक श्री राजीव रंजन मिश्रा ने कहा कि यह केवल एक उत्सव नहीं है, बल्कि आर्द्रभूमि संरक्षण के लिए कार्रवाई का आह्वान है और यही कारण है कि हमने आर्द्रभूमि संरक्षण के लिए क्षमता निर्माण कार्यशालाओं का आयोजन किया है। श्री मिश्र ने कहा कि भारतीय वन्यजीव संस्थान और पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की सहायता के माध्यम से रामसर स्थलों और आर्द्रभूमियों की निगरानी के लिए एक भविष्यगत दिशा-निर्देश तैयार किए जा रहे हैं। भारत जल फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ. अरविंद कुमार ने विचार साझा करते हुए कहा कि इस वर्ष रामसर सम्मेलन की 50वीं वर्षगांठ मनाई जाती है और अब तक भारत में लगभग 42 रामसर स्थल हैं। उन्होंने आर्द्रभूमि संरक्षण को और अधिक बढ़ाने के लिए कई मंत्रालयों के बीच सहयोग को प्रोत्साहन देने का सुझाव दिया।
आर्द्रभूमियों के कार्यों को व्यापक रूप से जाना जाता है, हालांकि जब इन कार्यों को निष्पादित करने के मसले पर नगरपालिकाओं में जानकारी की कमी नज़र आती है। इस अवसर पर, प्रतिष्ठित स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर की सहायता से एनएमसीजी द्वारा शहरी आर्द्रभूमियों/जल निकायों के प्रबंधन, संरक्षण एवं सुरक्षा के लिए स्थानीय हितधारकों हेतु एक टूलकिट भी जारी की गई। रामसर स्थलों और भारत की अन्य आर्द्रभूमियों की पारिस्थितिक निगरानी के लिए एक प्रारूप भी जारी किया गया। कार्यक्रम के दौरान आर्द्रभूमियों पर हुए क्विज़ में पूरे भारत से उत्साही भागीदारी की गई और विजेताओं की घोषणा ट्री क्रेज फाउंडेशन की मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुश्री भावना बडोला द्वारा की गई। डब्ल्यू डब्ल्यू-इंडिया द्वारा आर्द्रभूमि पर जागरूकता फैलाने के लिए जारी पोस्टर का अनावरण जल शक्ति राज्यमंत्री मंत्री द्वारा किया गया।
स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर के निदेशक डॉ. पीएसएन राव, भारतीय वन्यजीव संस्थान के निदेशक धनंजय मोहन, इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर विवेक के देश में निदेशक विवेक सक्सेना, साउथ एशिया वेटलैंड्स इंटरनेशनल के निदेशक डॉ. रितेश कुमार, डायरेक्टर और डब्ल्यूडब्ल्यूएफ-इंडिया के निदेशक सुरेश बाबू ने आर्द्रभूमि के संरक्षण पर अपने विचार साझा किए।
जिला गंगा समितियों के लिए एनएमसीजी के सहयोग के साथ डब्ल्यूडब्ल्यूएफ-इंडिया द्वारा तैयार आर्द्रभूमि कायाकल्प और संरक्षण के विभिन्न पहलुओं पर कार्यशालाओं की एक श्रृंखला के साथ आर्द्रभमि दिवस समारोह का शुभारंभ 1 फरवरी, 2021 हुआ। भारतीय वन्यजीव संस्थान द्वारा गंगा प्रहरियों, गंगा दूत, गंगा विचार मंच, प्रोफेसरों, शिक्षकों और छात्रों के लिए इसी तरह के क्षमता निर्माण कार्यशालाओं का आयोजन 3 फरवरी 2021 को किया जाएगा।
असन संरक्षण रिजर्व और झिलमिल झील संरक्षण रिजर्व आदि पर कार्यक्रमों के अलावा आर्द्रभूमियों के समुदायों को जोड़ने और उन्हें संवेदनशील बनाने के लिए गंगा बेसिन में स्वयंसेवकों और स्वायत्त संगठनों द्वारा कई कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। एनएमसीजी के महानिदेशक ने संतोष जताते हुए कहा कि गंगा के किनारे सैकड़ों स्थलों पर सामुदायिक स्तर पर गतिविधियाँ संचालित की जा रही हैं।