याद रखो अब ए काला दिन, हलधर जान गवांई थी।।
ताटंक छंद
विषय-
टेक्टर रैली(किसान की मौत)
याद रखो छब्बीस जनवरी,
सिर पै लाठी खाई थी।
याद रखो अब ए काला दिन,
हलधर जान गवांई थी।।
टेक्टर रैली निकल रही है,
भारी भीड़ समाई थी।
गोली चली कृषक सीना पर,
नैनन नदी बहाई थी।।
सरकारी आदेश कृषक ले,
टेक्टर रैली भाई थी।
राजनीति की अजब चाल में,
हलधर ठोकर खाई थी।।
आजादी अब नहीं दिखाती,
अत्याचारी छाई थी।
जिसका अन्न पेट में तेरे,
उस पर चोट लगाई थी।।
योगी मोदी की अजब चाल में,
हलधर सब उलझाए थे।
लाठी आँसू गोले जारी,
पापी लख इठलाए थे।।
भगदड़ जारी दिल्ली में थी,
लाठी हलधर खाए थे।
प्रभुपग कैसें होय निनोरा,
अकल बेंच घर आए थे।।
प्रभुपग धूल
लक्ष्मी कान्त सोनी
महोबा
उत्तर प्रदेश
पुलिस की गोली से किसान की मौत
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— Mohd
Hashim 5.2K (@imHashim9286) January 26, 2021