कुंडलियां-पावक

कुंडलियां-
🥀पावक🥀
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पावक से बचकर रहो,पावक तेज अपार।
पावक से भोजन पचे,पावक तन आधार।।
पावक तन आधार,रहे जन जन के अंदर।
पावक दहके क्रोध,जलें अब मन के वंदर।।
पावक लेव समार,बनो तुम मनके भावक।
पावक प्रबल लखाय,धरो पग लख के पावक।।
2-
पावक जलती देख कर,मत घबड़ाना यार।
पावक कुछ नहि कर सके,हो ईश्वर का प्यार।।
हो ईश्वर का प्यार,भक्त की भक्ती भारी।
होवै उर में साँच,हरी की शक्ती सारी।।
प्रभुपग ईश्वर सार,बनो तुम उनके साधक।
गुजरो पावक बीच,जला नहि सकती पावक।।
3-
पावक तेजी सें जले,जलते सब नर नार।
पावक धीमी नहि लखे,लाओ गंगा धार।।
लाओ गंगा धार,काम उर क्रोध मिटावै।
कपड़ा मोह उतार,लोभ की नाव डुवावै।।
प्रभुपग मद को भार,पाप को पक्को छावक।
रहना बचके यार,डगर में भारी पावक।।
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🥀प्रभु पग धूल🥀
लक्ष्मी कान्त सोनी
महोबा
उत्तर प्रदेश

 

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