महोबा में पत्रकारिता के नाम पर ब्लैकमेलिंग का खेल: ईमानदार अधिकारियों और चिकित्सकों पर दबाव बनाने की साजिश
महोबा में पत्रकारिता के नाम पर ब्लैकमेलिंग का खेल: ईमानदार अधिकारियों और चिकित्सकों पर दबाव बनाने की साजिश
महोंबा, उत्तर प्रदेश — जिले में पत्रकारिता का पवित्र पेशा कुछ आपराधिक प्रवृत्ति के तथाकथित पत्रकारों के कारण बदनाम हो रहा है। ये लोग पत्रकारिता का चोला ओढ़कर न केवल खबरों को तोड़-मरोड़ कर पेश कर रहे हैं, बल्कि ब्लैकमेलिंग जैसे गंदे खेल को अंजाम देकर अपनी जेबें भरने में जुटे हैं।
जिला चिकित्सालय और सरकारी कार्यालय बने निशाना
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, महोबा जिले के जिला चिकित्सालय और अन्य सरकारी कार्यालय इन फर्जी पत्रकारों के मुख्य निशाने पर हैं। ये लोग बिना किसी तथ्य के मनगढ़ंत खबरें प्रकाशित कर अधिकारियों और चिकित्सकों पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं। अगर इनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, तो ये झूठे आरोप लगाकर बदनाम करने की धमकी देते हैं।
ईमानदार अफसरों और चिकित्सकों में दहशत
जिले के कई ईमानदार अफसर और जिला चिकित्सालय के डॉक्टर इन फर्जी पत्रकारों की हरकतों से परेशान हैं। अपनी निष्ठा और कर्तव्य परायणता से काम करने वाले अधिकारी और डॉक्टर जब इन ब्लैकमेलरों के आगे झुकने से इनकार कर देते हैं, तो ये तथाकथित पत्रकार उनके खिलाफ झूठी खबरें चलाकर उनकी छवि खराब करने की साजिश रचते हैं।
आपराधिक इतिहास की जांच जरूरी
जानकारों का कहना है कि अगर इन कथित पत्रकारों की क्रिमिनल हिस्ट्री की गहराई से जांच की जाए, तो इनमें से कई लोगों पर गंभीर आपराधिक मुकदमे दर्ज होने का खुलासा हो सकता है। ये लोग पत्रकारिता की आड़ में अवैध वसूली और ब्लैकमेलिंग जैसे अपराधों को अंजाम दे रहे हैं।
मधुमक्खियों की तरह घूम रहे ब्लैकमेलर
जिले में ऐसे ब्लैकमेलर पत्रकारों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। ये एक-दो नहीं, बल्कि मधुमक्खियों के झुंड की तरह विभिन्न कार्यालयों और संस्थानों में मंडराते नजर आते हैं। इनकी मंशा खबरों के जरिए जनहित की आवाज उठाने की नहीं, बल्कि निजी लाभ कमाने की है।
प्रशासन से सख्त कार्रवाई की मांग
महोंबा के जागरूक नागरिकों, ईमानदार अधिकारियों और चिकित्सकों ने जिला प्रशासन से गुहार लगाई है कि ऐसे फर्जी पत्रकारों की पहचान कर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। साथ ही पत्रकारिता की गरिमा को बचाने के लिए सच्चे और निष्ठावान पत्रकारों को आगे लाने की मांग की गई है।
अगर प्रशासन ने जल्द ही इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया, तो जिले में पत्रकारिता पर से लोगों का भरोसा उठ सकता है। महोबा के नागरिकों का कहना है कि लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को ऐसे ब्लैकमेलरों से बचाने के लिए कठोर कदम उठाना अनिवार्य हो गया है।