महाशिवरात्रि पर ‘हर हर भोले, नमः शिवाय’ से गूंज उठे शिवालय
महाशिवरात्रि पर ‘हर हर भोले, नमः शिवाय’ से गूंज उठे शिवालय
प्रवीण कुमार
चरखारी (महोबा): महाशिवरात्रि का पर्व शिव भक्ति और श्रद्धा प्रकट करने का विशेष अवसर है। आज चरखारी नगर के प्रमुख शिवालयों—श्री बटुक भैरव नाथ मंदिर, श्री महाकालेश्वर मंदिर, खंदिया के त्रिकूट पर्वत पर स्थित शिवालय और अन्य शिव मंदिरों में भक्तों का तांता लगा रहा।
सुबह से ही श्रद्धालु ‘हर हर भोले, नमः शिवाय’ का जयघोष करते हुए भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक और विविध प्रकार से पूजन-अर्चन कर रहे थे। महिलाओं और बच्चों की उत्साही भागीदारी ने माहौल को और भी पवित्र और मनमोहक बना दिया।
महाशिवरात्रि का महत्व:
पौराणिक कथाओं के अनुसार, फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को भगवान शिव पहली बार ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए थे। तभी से इस दिन को ‘महाशिवरात्रि’ के रूप में मनाया जाता है। मान्यता है कि शिवलिंग में शिव की सभी शक्तियाँ निहित हैं और इसकी पूजा करने से भगवान आशुतोष प्रसन्न होकर अपने भक्तों को विशेष फल प्रदान करते हैं।
उपनिषदों में भी शिवलिंग का महत्व वर्णित है:
“आकाशं लिङ्गमित्याहुः पृथ्वी तस्य पीठिका।
आलयः सर्वदेवानां लयनाल्लिङ्ग मुच्यते।”
अर्थात, आकाश लिंग है और पृथ्वी उसकी पीठिका। इस लिंग में समस्त देवताओं का वास है और सम्पूर्ण सृष्टि का इसमें लय होता है, इसीलिए इसे लिंग कहा जाता है।
महाशिवरात्रि मनाने के प्रमुख कारण:
भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह।
भगवान शिव का निराकार से साकार रूप में अवतरण।
भगवान शिव का तांडव नृत्य, जो सृजन, पालन और संहार का प्रतीक है।
सागर मंथन से निकले कालकूट विष का पान कर सृष्टि की रक्षा करना, जिससे शिव का कंठ नीला हो गया और उन्हें ‘नीलकंठ’ नाम मिला।
आध्यात्मिक महत्ता और उपासना:
महाशिवरात्रि केवल धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि आंतरिक चिंतन और आत्म-जागरूकता का अवसर भी है। इस दिन शिवालयों में भगवान भोलेनाथ का पूजन-अनुष्ठान कर लोग शांति और मोक्ष की कामना करते हैं।
नगर चरखारी में महाशिवरात्रि के इस पावन पर्व पर भक्तों की उमड़ी भीड़ और उनकी अटूट श्रद्धा ने माहौल को भक्तिमय बना दिया। शिवभक्ति से ओतप्रोत यह दिन सभी के लिए कल्याणकारी और मंगलमय साबित हो, इसी कामना के साथ ‘हर हर महादेव’ का जयघोष गूंजता रहा।