महोबा में अवैध शस्त्रों के खिलाफ कार्रवाई: पुलिस की लापरवाही और अपराधियों के हौसले बुलंद

महोबा में अवैध शस्त्रों के खिलाफ कार्रवाई: पुलिस की लापरवाही और अपराधियों के हौसले बुलंद

ब्यूरो रिपोर्ट

महोबा जिले के थाना चरखारी की पुलिस ने 15 जनवरी 2025 को अवैध शस्त्र और कारतूस के साथ एक अभियुक्त, रामजी यादव (36 वर्ष), को गिरफ्तार किया। पुलिस अधीक्षक पलाश बंसल के निर्देशन में चल रहे अभियान के तहत यह कार्रवाई हुई। गिरफ्तार अभियुक्त के पास से 315 बोर का अवैध तमंचा और एक जिंदा कारतूस बरामद किया गया। पुलिस ने अभियुक्त के खिलाफ धारा 3/25 आर्म्स एक्ट के तहत मामला दर्ज कर न्यायालय में पेश किया।

पुलिस की कार्रवाई पर सवाल

हालांकि, पुलिस की इस कार्रवाई को सराहनीय कहा जा रहा है, लेकिन इस मामले ने कई गंभीर सवाल खड़े किए हैं।

1. अवैध शस्त्रों का अनवरत निर्माण और बिक्री:
पुलिस ने अभियुक्त को गिरफ्तार तो कर लिया, लेकिन यह सवाल अब भी अनुत्तरित है कि इन अवैध शस्त्रों का स्रोत क्या है? जिले में चल रहे अवैध शस्त्र कारखानों को बंद करने की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं।

2. अपराधियों के हौसले बुलंद:
महोबा जिले में बेरोकटोक अवैध शस्त्रों की आपूर्ति जारी है। अपराधियों को इन हथियारों की उपलब्धता इतनी आसान है कि वे आए दिन अपराधों को अंजाम दे रहे हैं। पुलिस की कार्रवाई अपराधियों पर नकेल कसने में नाकाफी साबित हो रही है।

3. बेरोजगारी और अवैध धंधे:
जिले में बढ़ती बेरोजगारी युवाओं को अवैध शस्त्र निर्माण और तस्करी जैसे काले धंधों में धकेल रही है। पुलिस को चाहिए कि वह केवल अभियुक्तों को गिरफ्तार करने तक ही सीमित न रहे, बल्कि इन शस्त्रों के निर्माण और तस्करी के पीछे छिपे पूरे नेटवर्क को ध्वस्त करे।

4. स्थानीय पुलिस की लापरवाही:
यह चिंता का विषय है कि पुलिस अवैध शस्त्रों के स्रोत का पता लगाने और इन कारखानों को बंद करने में परहेज कर रही है। इससे यह प्रतीत होता है कि या तो पुलिस इस मामले में गंभीर नहीं है या फिर इसके पीछे कोई और बड़ा कारण है।

 

निष्कर्ष

महाकुंभ 2025 के मद्देनजर सुरक्षा व्यवस्था को चाक-चौबंद करना पुलिस की जिम्मेदारी है। लेकिन अगर पुलिस केवल दिखावटी कार्रवाई करती रही, तो अपराधियों का मनोबल और बढ़ेगा। पुलिस को चाहिए कि वह न केवल अभियुक्तों को गिरफ्तार करे, बल्कि अवैध शस्त्रों की जड़ तक पहुंचे और उसे जड़ से खत्म करे। अन्यथा, यह समस्या दिन-ब-दिन विकराल रूप लेती जाएगी।

सुझाव

1. अवैध शस्त्र निर्माण और तस्करी पर रोकथाम के लिए विशेष अभियान चलाए जाएं।

2. बेरोजगार युवाओं के लिए रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए जाएं।

3. पुलिस की कार्यप्रणाली को पारदर्शी और जवाबदेह बनाया जाए।

4. स्थानीय जनता की सहायता से अवैध गतिविधियों की जानकारी जुटाई जाए।

 

महोबा की जनता अब जवाब चाहती है। क्या पुलिस अपराधियों के नेटवर्क को खत्म करने में सफल होगी, या यह कार्रवाई भी महज दिखावा बनकर रह जाएगी?

 

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