ओटीएस योजना की अवहेलना: खाली कुर्सियों से झलकती उदासीनता
ओटीएस योजना की अवहेलना: खाली कुर्सियों से झलकती उदासीनता
रिपोर्ट-समीर पठान विशेष संवाददाता
पनवाड़ी, महोबा।
उत्तर प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी एकमुश्त समाधान योजना (ओटीएस) का उद्देश्य उपभोक्ताओं को बिजली बिल में ब्याज माफी का लाभ देना है। लेकिन महोबा जिले के पनवाड़ी विद्युत उपखंड में यह योजना अधिकारियों की लापरवाही और कर्मचारियों की उदासीनता के कारण दम तोड़ती नजर आ रही है।
पनवाड़ी उपखंड में तैनात अवर अभियंता (जेई) ईश्वरसिंह यादव की गैरहाजिरी और उदासीनता के कारण न केवल विभागीय कर्मचारी काम में रुचि नहीं ले रहे, बल्कि उपभोक्ता भी परेशान हैं। विभागीय कार्यालय में कंप्यूटर और कुर्सियां तो मौजूद हैं, लेकिन कर्मचारियों की अनुपस्थिति से उपभोक्ताओं का हताश होना स्वाभाविक है।
ओटीएस योजना के चरण
ओटीएस योजना तीन चरणों में लागू की गई है।
1. पहला चरण: 15 दिसंबर से 31 दिसंबर 2024
2. दूसरा चरण: 1 जनवरी से 15 जनवरी 2025
3. तीसरा चरण: 16 जनवरी से 31 जनवरी 2025
इस योजना के अंतर्गत उपभोक्ता अपना रजिस्ट्रेशन कराकर बिजली बिल के सरचार्ज में छूट प्राप्त कर सकते हैं। लेकिन पनवाड़ी में कर्मचारियों की गैरहाजिरी उपभोक्ताओं के लिए बड़ी बाधा बन गई है।
उदासीनता पर सवाल
पनवाड़ी उपखंड में “अंधेर नगरी, चौपट राजा” की कहावत चरितार्थ हो रही है। जब जिम्मेदार अधिकारी ही अपने कार्य के प्रति उदासीन हैं, तो कर्मचारियों से काम की अपेक्षा करना व्यर्थ है। उपभोक्ताओं ने अपनी शिकायतें दर्ज कराते हुए कहा कि कई दिनों से विभाग के चक्कर काटने के बावजूद समस्या का समाधान नहीं हो रहा।
एसडीओ का संरक्षण
जेई ईश्वरसिंह यादव की उदासीनता पर सवाल उठने के बाद, एसडीओ गिरिशचंद्र द्वारा उनका बचाव किया जा रहा है। कर्मचारियों का कहना है कि जेई साहब न तो रात्रि निवास करते हैं और न ही दिन में कार्यालय में उपस्थित रहते हैं।
अधीक्षण अभियंता का सख्त रुख
मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए अधीक्षण अभियंता आर.एस. गौतम ने कहा कि शासनादेश का पालन सुनिश्चित किया जाएगा। उन्होंने आश्वासन दिया कि जांच टीम का गठन कर दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि किसी भी अधिकारी या कर्मचारी को शासनादेश का उल्लंघन करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
निष्कर्ष:
सरकार की योजनाओं को सफल बनाने के लिए अधिकारी और कर्मचारियों की जिम्मेदारी सबसे अहम है। लेकिन पनवाड़ी उपखंड में अधिकारियों की लापरवाही सरकार की नीतियों पर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर रही है। अब देखना होगा कि उच्च अधिकारियों द्वारा इस मामले में कब और क्या कदम उठाए जाते हैं।