हमीरपुर: अवैध हथियारों के खिलाफ अभियान या पुलिस की लापरवाही का नतीजा?

हमीरपुर: अवैध हथियारों के खिलाफ अभियान या पुलिस की लापरवाही का नतीजा?

उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले में अवैध तमंचों और कारतूसों के साथ अपराधियों की गिरफ्तारी का सिलसिला जारी है। पुलिस अधीक्षक महोदया के निर्देश पर चलाए जा रहे अभियानों के दौरान राठ और बिंवार थाना क्षेत्र में दो अभियुक्त गिरफ्तार किए गए। इनके पास से अवैध तमंचे और कारतूस बरामद हुए। हालांकि, इन घटनाओं ने पुलिस की कार्यशैली और क्षेत्र में बढ़ते अवैध शस्त्र निर्माण पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

पुलिस की सफलता या नाकामी?

पुलिस ने राठ थाना क्षेत्र में सचिन उर्फ सच्चू (24 वर्ष) को एक 315 बोर के तमंचे और खोखा कारतूस के साथ गिरफ्तार किया। वहीं, बिंवार थाना क्षेत्र में रवि करन (26 वर्ष) को तमंचे और जिंदा कारतूस के साथ पकड़ा गया। इन गिरफ्तारियों के साथ ही अपराधियों का एक लंबा आपराधिक इतिहास सामने आया।

सचिन उर्फ सच्चू के खिलाफ दस से अधिक मामले दर्ज हैं, जिनमें जुआ अधिनियम, आयुध अधिनियम, और आईपीसी की गंभीर धाराएं शामिल हैं। इसी तरह, रवि करन पर भी कई मामले दर्ज हैं। इन दोनों अभियुक्तों का आपराधिक इतिहास पुलिस की सुस्ती और अपराधियों को बढ़ावा देने वाली व्यवस्था को उजागर करता है।

अवैध हथियारों की उपलब्धता पर सवाल

हमीरपुर और आसपास के इलाकों में अवैध शस्त्र निर्माण और कारतूसों की कालाबाजारी आम बात हो गई है। पुलिस इन शस्त्रों के स्रोत का पता लगाने में नाकाम रही है। अपराधियों को आसानी से हथियार मिलना पुलिस की लचर व्यवस्था और स्थानीय प्रशासन की विफलता को दर्शाता है।

पुलिस पर उठते सवाल

1. अपराधियों का बढ़ता हौसला: पुलिस अभियानों के बावजूद अपराधियों का बेखौफ होकर अवैध गतिविधियों में संलिप्त रहना, पुलिस की सख्ती पर सवाल खड़े करता है।

2. स्थानीय शस्त्र कारखानों का संचालन: पुलिस अब तक क्षेत्र में चल रहे अवैध शस्त्र कारखानों का पता लगाने में असफल रही है।

3. कारतूसों की कालाबाजारी: अपराधियों को आसानी से कारतूस मिल रहे हैं, जो पुलिस की मिलीभगत या लापरवाही को दर्शाते हैं।

 

अवैध शस्त्र रोकने के लिए ठोस कदमों की जरूरत

पुलिस को चाहिए कि वह सिर्फ छोटे अपराधियों को पकड़ने के बजाय शस्त्रों के स्रोत तक पहुंचे। अवैध शस्त्र निर्माण और कारतूसों की सप्लाई चेन को तोड़ने के लिए गहन जांच और कड़े कदम उठाए जाएं।

स्थानीय मुखबिर तंत्र मजबूत करें।

अवैध शस्त्र निर्माण पर सख्त कार्रवाई हो।

पुलिस की जवाबदेही तय हो।

निष्कर्ष

हमीरपुर जिले में अवैध हथियारों का बढ़ता प्रचलन और अपराधियों की गिरफ्तारी पुलिस की सफलता से ज्यादा उसकी नाकामी को उजागर करता है। जनता को सुरक्षा देने वाली पुलिस, अगर स्रोतों तक नहीं पहुंचती, तो यह अभियान महज दिखावा बनकर रह जाएगा। अब देखना होगा कि पुलिस प्रशासन इस दिशा में क्या ठोस कदम उठाता है, या फिर यह सिलसिला यूं ही चलता रहेगा।

 

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