उन्नाव: बेटे को बंधुआ मजदूरी से छुड़ाने के लिए मां की पुलिस अधीक्षक से गुहार

उन्नाव: बेटे को बंधुआ मजदूरी से छुड़ाने के लिए मां की पुलिस अधीक्षक से गुहार

उन्नाव जिले के दही थाना क्षेत्र के मद्दी खेड़ा गांव की रहने वाली रानी, पत्नी दयाराम, अपने बेटे को विदेश से वापस लाने के लिए लगातार प्रशासन से न्याय की गुहार लगा रही हैं। रानी ने 6 जनवरी 2025 को पुलिस अधीक्षक उन्नाव के कार्यालय पहुंचकर एक शिकायती पत्र दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि उनके ही गांव के सूरज पुत्र केशनलाल ने उनके बेटे मोहित को दुबई में काम दिलाने का झांसा देकर ठग लिया।

घटना का विवरण

रानी के अनुसार, सूरज ने उनके बेटे को दुबई में चॉकलेट पैकिंग का काम दिलाने का लालच दिया। इस काम के लिए सूरज और उसकी भाभी ने एक लाख पचास हजार रुपये मांगे, जो पीड़िता ने उन्हें वीडियो रिकॉर्डिंग में पैसे देते हुए दिए। 22 दिसंबर 2024 को मोहित दुबई पहुंचा, लेकिन वहां उसे चॉकलेट पैकिंग का काम नहीं, बल्कि बंधुआ मजदूरी करनी पड़ी।

मोहित ने अपनी मां को फोन कर बताया कि उसे जबरन काम कराया जा रहा है और उसकी जान को खतरा है। उसने मां से कहा, “मुझे बचा लो, नहीं तो ये लोग मुझे मार डालेंगे।”

आरोपियों की हरकतें

रानी ने अपने शिकायती पत्र में बताया कि सूरज और उसकी भाभी के अलावा इस मामले में एक अज्ञात एजेंट भी शामिल है, जो कानपुर का निवासी है। वह केवल व्हाट्सएप के माध्यम से संपर्क करता है और धमकी देता है कि अगर शिकायत की गई, तो मोहित की जान ले ली जाएगी।

मां की प्रशासन से गुहार

रानी का कहना है कि वह रोज पुलिस अधीक्षक उन्नाव के कार्यालय के चक्कर लगा रही हैं, लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। इस मामले को स्थानीय मीडिया और सच्चाई चैनल ने प्रमुखता से दिखाया है, परंतु प्रशासनिक स्तर पर अभी तक कोई कदम नहीं उठाया गया है।

बेटे का वीडियो वायरल

मोहित ने दुबई से सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी किया है, जिसमें उसने अपने साथ हो रहे अत्याचार की जानकारी दी और मदद की अपील की। वीडियो में मोहित ने कहा कि वह बंधुआ मजदूरी के हालात में जी रहा है और उसे अपनी जान का खतरा है।

प्रशासनिक उदासीनता

अब तक पुलिस या प्रशासन की तरफ से कोई कार्रवाई न होने के कारण मां रानी बेहद परेशान हैं। उन्होंने मीडिया और जनता से भी अपील की है कि उनके बेटे को वापस लाने में मदद करें।

समाज में उठे सवाल

यह मामला न केवल प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि विदेश में मजदूरी के लिए भेजे जाने वाले युवाओं की सुरक्षा और उनके अधिकारों पर भी गंभीर चिंता जाहिर करता है।

निष्कर्ष

अब देखना यह है कि प्रशासन इस संवेदनशील मामले में कब और कैसे कार्रवाई करता है। एक मां का विश्वास और बेटे की जान दांव पर लगी है। ऐसे में प्रशासन का मौन रहना समाज को झकझोरने वाला है।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!