सांप्रदायिक सौहार्द का प्रतीक: उन्नाव का तकिया मेला

सांप्रदायिक सौहार्द का प्रतीक: उन्नाव का तकिया मेला

उन्नाव। भारत की गंगा-जमुनी तहज़ीब की अद्भुत मिसाल पेश करता है उन्नाव जिले का प्रसिद्ध तकिया मेला। हिंदू-मुस्लिम एकता की पहचान बने इस मेले में हर साल हजारों की तादाद में लोग शिरकत करते हैं। तकिया मेला, उन्नाव जिले के रायबरेली मार्ग पर स्थित तकिया बाजार में आयोजित होता है, जहां सहस्त्र लिंगेश्वर महादेव का मंदिर और मोहम्मद शाह बाबा की दरगाह एक ही परिसर में मौजूद हैं।

धार्मिक सौहार्द का केंद्र:
तकिया मेले की खासियत यह है कि यहां हिंदू और मुस्लिम समुदाय के लोग एक साथ शिव मंदिर में पूजा-अर्चना करते हैं और दरगाह पर चादरपोशी करते हैं। यह मेला समाज में भाईचारे और सांप्रदायिक सौहार्द का संदेश देता है। हर साल यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु अपनी मन्नतें लेकर आते हैं और उनकी पूर्ति होने पर चढ़ावा चढ़ाते हैं।

व्यापार और संस्कृति का संगम:
1 महीने से अधिक चलने वाले इस मेले में दूर-दूर से व्यापारी आते हैं। यहां गाय, भैंस, घोड़े और ऊंट जैसे पशुओं की खरीद-फरोख्त होती है। साथ ही, मेले में स्थानीय व्यंजन, हस्तशिल्प और पारंपरिक वस्त्रों के स्टॉल भी लगाए जाते हैं। यह मेला उन्नाव के सबसे बड़े मेलों में से एक है और आसपास के जिलों से लोगों को आकर्षित करता है।

शुरुआत चादरपोशी से:
गुरुवार को उन्नाव के जिम्मेदारों द्वारा मोहम्मद शाह बाबा की दरगाह पर चादरपोशी कर मेले का शुभारंभ किया गया। स्थानीय प्रशासन और मेले की कमेटी ने इस आयोजन को सफल बनाने के लिए विशेष इंतजाम किए हैं।

हिंदू-मुस्लिम एकता का संदेश:
तकिया मेला केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह हिंदू-मुस्लिम एकता और सांप्रदायिक सौहार्द का प्रतीक है। यह मेला हर धर्म और जाति के लोगों को एक साथ लाने का काम करता है और सामाजिक समरसता की मिसाल पेश करता है।

(नेटवर्क टाइम्स न्यूज़ चैनल के लिए नफीस खान की विशेष रिपोर्ट)

 

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