37 वर्षों बाद भी जुगल किशोर मूर्ति चोरी काण्ड बना रहस्य, सरकार और प्रशासन की चुप्पी पर उठ रहे सवाल
37 वर्षों बाद भी जुगल किशोर मूर्ति चोरी काण्ड बना रहस्य, सरकार और प्रशासन की चुप्पी पर उठ रहे सवाल
सुगिरा गाँव, महोबा (उत्तर प्रदेश)
महोबा जिले के सुगिरा गाँव में घटित जुगल किशोर मूर्ति चोरी काण्ड को 37 वर्ष बीत चुके हैं, लेकिन आज तक इस गुत्थी का समाधान नहीं हो पाया है। न तो चोरी हुई मूर्ति का कोई पता चल सका और न ही जिम्मेदार अधिकारियों और सरकार ने इस मामले में कोई ठोस कदम उठाया। ऐसे में स्थानीय लोगों के बीच नाराजगी और निराशा लगातार बढ़ती जा रही है।
घटना का संदर्भ
सुगिरा गाँव में स्थित ऐतिहासिक जुगल किशोर मंदिर की मूर्ति 37 साल पहले रहस्यमय तरीके से चोरी हो गई थी। यह मूर्ति धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण थी, जिसकी वजह से गाँव और आसपास के क्षेत्र के लोगों में इसकी गहरी आस्था थी। लेकिन, मूर्ति की चोरी के बाद न तो मामले की गहराई से जाँच हुई और न ही इसे लेकर कोई निर्णायक कार्रवाई सामने आई।
प्रशासन और सरकार की निष्क्रियता
इस चोरी के इतने वर्षों बाद भी पुलिस, पुरातत्व विभाग और प्रशासन की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं। स्थानीय प्रशासन की सुस्ती और सरकार की उदासीनता के कारण यह मामला अभी तक ठंडे बस्ते में पड़ा हुआ है। गाँव के बुजुर्गों का कहना है कि कई बार जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों को ज्ञापन सौंपे गए, लेकिन उनकी ओर से सिर्फ आश्वासन ही मिला।
कानून की नाकामी
मूर्ति चोरी के इस काण्ड ने कानून-व्यवस्था पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। इतने सालों बाद भी जाँच एजेंसियों के हाथ खाली हैं और कानून के हाथ बौने साबित हुए हैं। इस घटना ने यह भी दिखाया है कि धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहरों की सुरक्षा को लेकर प्रशासन कितना संवेदनहीन है।
स्थानीय लोगों की नाराजगी
सुगिरा गाँव के लोगों का कहना है कि उनकी आस्था से जुड़ी यह मूर्ति सिर्फ एक प्रतिमा नहीं थी, बल्कि यह उनके विश्वास का केंद्र थी। गाँव के लोगों ने इस मामले को कई बार उठाने की कोशिश की, लेकिन उन्हें कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला। ग्रामीणों ने कहा कि अब समय आ गया है कि सरकार इस मुद्दे पर संज्ञान ले और मूर्ति की बरामदगी के लिए विशेष जाँच टीम का गठन करे।
सवालों के घेरे में सरकार और जनप्रतिनिधि
1. इतने वर्षों बाद भी क्यों नहीं सुलझा मूर्ति चोरी का मामला?
2. स्थानीय प्रशासन और पुलिस ने अब तक क्या कार्रवाई की?
3. जनप्रतिनिधियों और सरकार की चुप्पी का कारण क्या है?
4. क्या सांस्कृतिक धरोहरों की सुरक्षा के लिए कोई ठोस योजना बनाई जाएगी?
माँगें
विशेष जाँच टीम का गठन कर इस मामले की पुनः जाँच की जाए।
मूर्ति की बरामदगी के लिए सीबीआई या उच्च स्तरीय जाँच की सिफारिश की जाए।
स्थानीय प्रशासन और पुरातत्व विभाग मिलकर क्षेत्र की अन्य धार्मिक और ऐतिहासिक धरोहरों की सुरक्षा सुनिश्चित करें।
इस मामले पर सरकार और जनप्रतिनिधियों को जवाबदेह बनाया जाए।
निष्कर्ष
जुगल किशोर मूर्ति चोरी काण्ड सिर्फ एक घटना नहीं है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक धरोहरों की सुरक्षा पर बड़ा प्रश्नचिह्न है। जब तक सरकार, प्रशासन और जनप्रतिनिधि इस मामले को गंभीरता से नहीं लेते, तब तक ऐसे मामलों की पुनरावृत्ति को रोका नहीं जा सकता। गाँव के लोगों का यह संघर्ष प्रशासनिक उदासीनता के खिलाफ एक चेतावनी है कि उनकी आस्था और धरोहरों के साथ लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
– विशेष रिपोर्ट
सुगिरा, महोबा (उत्तर प्रदेश)