सुगिरा महोबा का ऐतिहासिक किला ध्वस्त होने की कगार पर: संरक्षण के अभाव में विरासत संकट में
सुगिरा महोबा का ऐतिहासिक किला ध्वस्त होने की कगार पर: संरक्षण के अभाव में विरासत संकट में
महोबा। बुंदेलखंड की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों में शामिल सुगिरा महोबा का ऐतिहासिक किला आज अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है। यह किला स्वतंत्रता संग्राम के प्रथम सैनिक राजा राव महिपाल जु देव की वीरता और गौरवशाली इतिहास का प्रतीक है। लेकिन संबंधित अधिकारियों की लापरवाही और संरक्षण की कमी के कारण यह ऐतिहासिक धरोहर धीरे-धीरे ध्वस्त होने के कगार पर पहुंच चुकी है।
किले का ऐतिहासिक महत्व
सुगिरा किला भारतीय इतिहास में उस समय की गाथा कहता है जब राजा राव महिपाल जु देव ने विदेशी आक्रमणकारियों के खिलाफ अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए वीरता दिखाई थी। किला न केवल उनकी शौर्यगाथा का साक्षी है, बल्कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के पहले कदमों में से एक का भी प्रतीक है।
संरक्षण के अभाव में बिगड़ती स्थिति
यह किला अब जर्जर स्थिति में पहुंच चुका है। दीवारें दरक रही हैं, संरचना का अधिकांश हिस्सा टूट चुका है, और किले के आसपास फैला कचरा इसकी गरिमा को ठेस पहुंचा रहा है। किले के संरक्षण के लिए स्थानीय प्रशासन और पुरातत्व विभाग द्वारा किसी ठोस कदम का अभाव स्पष्ट रूप से दिखता है।
स्थानीय नागरिकों की अपील
किले की वर्तमान स्थिति देखकर स्थानीय नागरिकों में आक्रोश है। उनका कहना है कि संबंधित अधिकारियों की उदासीनता के कारण यह ऐतिहासिक धरोहर अपनी पहचान खोती जा रही है। नागरिकों ने सरकार से मांग की है कि जल्द से जल्द इस किले के संरक्षण और मरम्मत के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएं।
सरकार और पुरातत्व विभाग से अपेक्षा
ऐतिहासिक धरोहरों का संरक्षण केवल हमारी सांस्कृतिक पहचान का हिस्सा नहीं है, बल्कि यह पर्यटन और क्षेत्रीय विकास का भी माध्यम हो सकता है। यदि सरकार और पुरातत्व विभाग इसे गंभीरता से लेते हैं, तो इस किले को संरक्षित कर भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक महत्वपूर्ण विरासत के रूप में बचाया जा सकता है।
समस्या समाधान की ओर कदम उठाने की आवश्यकता
महोबा का यह किला न केवल क्षेत्र की सांस्कृतिक धरोहर है, बल्कि यह हमारी सामूहिक स्मृति का हिस्सा है। इसे संरक्षित करना न केवल प्रशासनिक जिम्मेदारी है, बल्कि समाज की एक नैतिक जिम्मेदारी भी है। स्थानीय संगठनों और नागरिकों ने इसके संरक्षण के लिए जन आंदोलन की चेतावनी दी है।
अब समय आ गया है कि सरकार और प्रशासन इस ओर ध्यान दें और इस धरोहर को बचाने के लिए त्वरित कार्रवाई करें, ताकि हमारे गौरवशाली इतिहास का यह प्रतीक आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रहे।