महोबा में पात्र किसान सरकारी योजनाओं के लाभ से कोशों दूर-भ्रष्ट अफसर सिर्फ चहेतों व अपात्रों को ही लाभ देते हैं-पात्र किसानों को योजना की हवा तक नहीं लगती -घोर भ्रष्टाचार
महोबा में पात्र किसान सरकारी योजनाओं के लाभ से कोशों दूर-भ्रष्ट अफसर सिर्फ चहेतों व अपात्रों को ही लाभ देते हैं-पात्र किसानों को योजना की हवा तक नहीं लगती -घोर भ्रष्टाचार
महोबा/(नेटवर्क टाइम्स)
किसी कवि ने ठीक ही लिखा है-
बस एक ही उल्लू काफी,है,
बर्बाद गुलिस्ताँ करने को।
हर शाख पे उल्लू बैठा है,
अंजाम न जाने क्या होगा।।
कवि की उपरोक्त पंक्तियाँ उत्तर प्रदेश के महोबा जनपद में चरितार्थ सावित हो रहीं हैं जिले में भ्रष्टाचार रूपी उल्लू ने सरकारी विभाग के योजना रूपी बाग के हर पेड़ पर अपना कब्जा जमा लिया है जिसके परिणाम स्वरूप सरकारी योजनाओं का लाभ पात्रों को न मिलकर अपात्रों व अफसरों के चहेते लोगों को ही मिल पा रहा है पात्र लोगों को तो इन योजनाओं की भनक तक नहीं लगती जिसके चलते आज महोबा जनपद के विभिन्न ग्रामीण शहरी व कस्वाई क्षेत्र के लोग सरकारी योजनाओं से वंचित बने हुए हैं।
चाहे वो आवास योजना हो या किसानों से संबंधित योजना हो सभी योजनाएँ आज भ्रष्टाचार रूपी दानव के मुँह में समातीं जा रहीं हैं लोगों को इन योजनाओं का कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है जो लोग रिश्वत देते हैं या सरकारी अफसरों की गुलामी करते हैं वे अपात्र होने के वावजूद भी इन योजनाओं का लाभ प्राप्त कर लेते हैं यदि विकाश योजनाओं व किसान योजनाओं की निष्पक्ष जाँच यदि सरकार द्वारा की जाए तो इस भ्रष्टाचार की परत दर परत खुलकर सामने आ जाएगी।
किसानों को दी जाने वाली सरकारी योजनाएँ पात्रों को नहीं वल्कि अपात्रों को मिल रहीं हैं सौर्य ऊर्जा प्लांट हो या पाइप लाइन योजना हो या अन्य किसान योजना हो सभी में भ्रष्टाचार का दीमक लगा हुआ है दलालों के माध्यम से जो लोग मोटी रिश्वत अफसरों को देते हैं लाभ सिर्फ उन्हीं को मिलता है शेष पात्र किसानों को तो इसकी भनक तक नहीं लगती।
किसानों द्वारा सम्मान निधि के लिए जो फाइलें ऑनलाइन की जातीं हैं उनका सत्यापन करने में जिले के भ्रष्ट अफसर महीनों का समय व्यतीत होने के वावजूद भी नहीं करते इस तरह किसानों को दी जाने वाली योजनाओं का लाभ पात्रों को नहीं अपात्रों को मिलता है।
किसान योजनाओं के भ्रष्टाचार में जनपद महोबा की कुलपहाड़ तहसील का जैतपुर विकाश खंड सबसे अव्वल है।
भ्रष्टाचार के कारण किसान आज घुट-घुटकर मरने पर मजबूर हैं।