सरकारी स्कूलों के बच्चों की शिक्षा से हो रहा खिलवाड़ कार्यालय नगर क्षेत्र मस्त

*सरकारी स्कूलों के बच्चों की शिक्षा से हो रहा खिलवाड़ कार्यालय नगर क्षेत्र मस्त*
चरखारी नगर व ग्रामीण क्षेत्रों में सरकार की मंशानुशार गरीब बच्चों की शिक्षा देने हेतु ग्रामीण अंचल तथा नगर में तो लगभग तीन दर्जन सरकारी प्राथमिक व माध्यमिक स्कूल सरकार द्वारा संचालित किया जा रहे हैं ,परंतु इन विद्यालय में शिक्षकों का अभाव इतना है कि कुछ विद्यालय शिक्षामित्र के सहारे चल रहे हैं। वहीं कार्यालय नगर क्षेत्र भी अपने चहेते शिक्षकों को चार-चार-6- 6 विद्यालयों का वित्तीय चार्ज देकर कर शिक्षा से अध्यापकों को वंचित सा कर रखा है शिक्षकों को समान भाव से देखकर विद्यालयों का आवंटन किया जाए तो एक शिक्षक के हिस्से में दो या तीन विद्यालय पड़े जिसमें अध्यापक का अतिरिक्त कार्य कम होगा तथा छात्रो की पढाई में समय दे सकेंगे लोगों के सवाल है कि, आखिर कुछ शिक्षक एकल विद्यालय संचालित कर रहे हैं तो कुछ शिक्षकों के पास आधा दर्जन विद्यालयों की जिम्मेवारी दी गई है। वहीं खंड शिक्षा अधिकारी का कहना है की सरकार के शासनादेश के मुताबिक ग्रामीण क्षेत्र के शिक्षकों को नगर क्षेत्र में अस्थाई तौर पर तैनात नहीं किया जा सकता है ।अब यह सवाल उठता है कि यदि नगर क्षेत्र में शिक्षक ही नहीं होंगे तो नगर के गरीब बच्चों की शिक्षा व्यवस्था कैसे चलेगी ? वहीं नगर में दर्जनों विद्यालय शिक्षकों के अभाव में दम तोड़ते दिखलाई पड़ रहे हैं तो दूसरी ओर सरकार द्वारा रैली के माध्यम से शिक्षा के लिये समय समय पर जागरुक रैली निकाली जाती है लेकिन अध्यापक के अभाव में बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ किया जा रहा है पिछले दिनों आरटीआई कार्यकर्ता कृष्ण गोपाल थापक ने बरसों से जमे कार्यालय नगर क्षेत्र के प्रभारी के विरोध जिलाधिकारी एवं बेसिक शिक्षा अधिकारी को शिकायती पत्र देकर नगर से बाहर तैनात करने की शिकायत की थी ,परंतु विभागीय अधिकारियों ने कार्यालय प्रभारी से शार्टकट शॉक कर कुछ दिनों के लिए महोबा कार्यालय से संबंध भी किया था। परंतु मामला शांत होने के पश्चात फिर से इस पटल पर तैनाती दे दी गई । जिससे नगर की शिक्षा व्यवस्था एकदम ध्वस्त हो गई।नव आगंतुक खंड शिक्षा अधिकारी जानकारी के अभाव में हमेशा ही शिक्षकों के अभाव का रोना रोती रहती हैं ।जबकि नगर में बेसिक शिक्षा विभाग की बेसिक शिक्षा बद से बत्तर होती जा रही है ‌और कोड़ में खाज यह है कि एक ।शिक्षक को आधा आधा दर्जन विद्यालयों की जिम्मेवारी होने के कारण मिड्डेमील भी बच्चों को सही तरीके से नहीं मिल पाता है।

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