गंगोदक सवैया पर आधारित गीत

गंगोदक सवैया
पर आधारित गीत
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(ऽ।ऽ रगण×8)
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212 212 212 212,
212 212 212 212
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सूर्य सी आज देखो तपे लेखनी,
चाँद कैसे बने आप ही बोलिए।
श्याम कैसे खुले ज्ञान की पोटली,
ज्ञान से ज्ञान की पोटली खोलिए।।
1-
पास पानी नहीं प्यास कैसे बुझे,
नीर कैसे मिले सिन्धु में मीन को।
मोह की भूख से चैन कैसे मिले,
व्योम में अन्न कैसे मिले दीन को।।
फूल सूखे हुए आज कैसे खिलें,
मेघ के रूप में श्याम जी डोलिए।
श्याम कैसे खुले——————
2-
मोर के नैन का नीर कैसे रुके,
शोक के मेघ छाने लगे नैन में।
राज की बात कैसे कहूँ आपसे,
आज राधा नहीं श्याम जी चैन में।।
पाप की मिर्च तीखी लगे देह में,
पुण्य रूपी दवा शीघ्र ही घोलिए।
श्याम कैसे खुले——————–
3-
बात कैसे कहूँ आज सच्ची पिया,
सत्य से जीभ मेरी जली जा रही।
श्याम से दूर कैसे रहे राधिका,
सृष्टि में प्रीति रूपी छटा छा रही।।
गाँठ कैसे मिटे प्रेम के पेड़ की,
प्रेम से प्रेम की गाँठ को छोलिए।
श्याम कैसे खुले——————–
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प्रभुपग धूल

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