दो दो हत्या निरखीं अखियन

🥀ओज छंद🥀
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दो दो हत्या निरखीं अखियन,
आंसू जारी है।
हिन्द देश में कैसें जीवें,
आफत भारी है।।
रो रो न्याय मँगाती जनता,
अबतो हारी है।
देखो वहतीं खूनीं नदियाँ
यू पी सारी है।।
दो दो—
वीर महोबा की ये हत्या,
दिल दहलाती है।
कारोवार नशा को जारी,
रोजी भाती है।।
लगते राजा गांधी वन्दर,
नर उत्पाती है।
हत्या चोरीं लूट डकैतीं
मन घबराती है।।
दो दो—
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🥀प्रभु पग धूल🥀
लक्ष्मी कान्त सोनी
महोबा
उत्तर प्रदेश

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