मानव सेवा
(मानव सेवा)
🥀ताटंक छन्द🥀
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सेवा मानव की कर लीजे,
ईश्वर मानव अंदर हैं।
भूखे को भोजन देते जो,
उनका हृदय मंदिर है।।
रोज रोज पूजा करने से,
मानव सेवा सुंदर है।
मानव सेवा करें नहीं नर,
सच में वो दश कंदर है।।
सेवा मानव–
फेंको नहीं पुराना कपड़ा,
वेवश जान बचाता है।
मानव सेवा करलो थोड़ा,
सुन यश मान सजाता हैं।।
भूखे को भोजन खिलवाता,
हरि को भोग लगाता है।
पानी पिला देव प्यासे को,
प्रभु की प्यास बुझाता है।।
सेवा मानव–
गुन ईश्वर कण कण में रहते,
सबको आज लखाता हूँ।
मानव सेवा मिल कर करना,
धर्म राह दरसाता हूँ।।
प्रभु पग धूल पाँय की इच्छा,
मानव सेवा मन लाता हूँ।
दीनन की सेवा कर प्यारे,
दीन वन्धु वन जाता हूँ।।
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🥀प्रभु पग धूल🥀
लक्ष्मी कान्त सोनी
महोबा
उत्तर प्रदेश