अमृत ध्वनि छंद

अमृत ध्वनि छंद
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तन-मन को पुलकित करे,
शीतल मंद समीर।
सूरज की किरणें पड़ीं,
चमके यमुना नीर।।
चमके यमुना,नीर स्वर्ण सम,शोभा न्यारी।
दमके जल की,मीन कनक सम,लगती प्यारी।।
मधुरिम मुरली,सुन मनहर की,हर्षित जन-जन।
कंचन सूरत,देख किशन की,हर्षित तन-मन।।
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प्रभुपग धूल

 

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