76वीं विश्व स्वास्थ्य सभा

76वीं विश्व स्वास्थ्य सभा


भारत दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है जिसने अपने टीबी भार का आकलन करने के लिए अपना स्वयं का तंत्र विकसित किया है: डॉ. मनसुख मांडविया

भारत वैश्विक सतत विकास लक्ष्य से पांच साल पहले, 2025 तक देश से टीबी को खत्म करने का प्रयास कर रहा है: डॉ मांडविया

टीबी मुक्त भारत अभियान (पीएमटीबीएमबीए) का उद्देश्य टीबी रोगियों को उनके उपचार की यात्रा के दौरान समर्थन देना है

नि-क्षय पोषण योजना प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के माध्यम से टीबी के उपचार से गुजर रहे 75 लाख से अधिक लोगों को मासिक पोषण सहायता प्रदान करती है

कोविड-19 के खिलाफ एक प्रभावी टीका विकसित करने के लिए दुनिया को मिलकर काम करने की जरूरत है: डॉ मांडविया

केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया ने जिनेवा में आयोजित 76वीं विश्व स्वास्थ्य सभा के दौरान तपेदिक (टीबी) पर एक क्वाड प्लस साइड इवेंट में मुख्य भाषण दिया। इस कार्यक्रम में क्वाड प्लस देशों के विशिष्ट प्रतिनिधियों की भागीदारी देखी गई, जिससे टीबी द्वारा उत्पन्न वैश्विक स्वास्थ्य चुनौती से निपटने की प्रतिबद्धता को बल मिला।

टीबी महामारी के प्रति भारत की सक्रिय प्रतिक्रिया पर प्रकाश डालते हुए, डॉ. मंडाविया ने कहा, “इस वर्ष, हमने भारत में वन वर्ल्ड टीबी समिट में विश्व टीबी दिवस मनाया, जिसमें अनिवार्य रूप से एक विश्व, एक स्वास्थ्य के लोकाचार पर प्रकाश डाला गया, जिस पर हमारे माननीय प्रधान मंत्री दृढ़ता से विश्वास करते हैं।” उन्होंने साझा किया कि भारत दुनिया का एकमात्र देश है जिसने अपने टीबी के भार का अनुमान लगाने के लिए अपना तंत्र विकसित किया है। स्थानीय साक्ष्यों के आधार पर एक गणितीय मॉडल को नियोजित करके, भारत अब विश्व स्वास्थ्य संगठन की वार्षिक रिपोर्ट से काफी पहले बीमारी के बोझ का सही निर्धारण कर सकता है।

अपने संबोधन में, डॉ. मंडाविया ने टीबी को समाप्त करने की दिशा में हुई सामूहिक प्रगति का मूल्यांकन करने के अवसर के रूप में सितंबर में होने वाली क्षय रोग पर संयुक्त राष्ट्र की आगामी उच्च स्तरीय बैठक (यूएनएचएलएम) के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने वैश्विक सतत विकास लक्ष्य से पांच साल पहले 2025 तक देश से टीबी को खत्म करने के प्रयास में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत के समर्पण की सराहना की।

टीबी नियंत्रण में भारत के अथक प्रयासों के उल्लेखनीय परिणाम सामने आए हैं। डॉ. मंडाविया ने घोषणा की कि देश में 2015 से 2022 तक टीबी के मामलों में 13 प्रतिशत की कमी देखी गई है, जो कि 10 प्रतिशत की वैश्विक कमी दर को पार कर गया है। इसके अतिरिक्त, इसी अवधि के दौरान भारत में टीबी मृत्यु दर में 15 प्रतिशत की कमी आई है। इसके विपरित, वैश्विक कमी दर 5.9 प्रतिशत की रही है।

शीघ्र निदान, उपचार और निवारक उपायों के महत्व को स्वीकार करते हुए, डॉ. मंडाविया ने कहा, “सभी लापता मामलों की पहचान करने और जिन तक नहीं पहुंचा जा सका है, उन तक पहुंचने के लिए, भारत ने हमारे प्रधानमंत्री जी के दूरदर्शी नेतृत्व के तहत अंतिम मील तक रोगियों के लिए निदान और उपचार किया है। प्रत्येक रोगी को सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज सुनिश्चित करने के लिए, हमने 1.5 लाख से अधिक स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र स्थापित किए हैं जो सभी रोगियों को टीबी निदान और देखभाल प्रदान करते हैं, साथ ही कई अन्य प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएं भी प्रदान करते हैं। यह हमारे देश के दुर्गम क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद रहा है, जिससे दूर-दराज के क्षेत्रों में भी सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज सुनिश्चित हो सका है।”

डॉ. मंडाविया ने निजी क्षेत्र के साथ भारत के सफल सहयोग पर भी प्रकाश डाला, जिससे टीबी रोगियों को उनके पसंदीदा केंद्रों, क्लीनिकों और डॉक्टरों के माध्यम से गुणवत्तापूर्ण देखभाल मिल सका है। परिणामस्वरूप, पिछले नौ वर्षों में निजी क्षेत्र की अधिसूचनाओं में सात गुना से अधिक की वृद्धि हुई है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *