वीर(आल्हा)छंद ——————————— (गुरु पुष्य नक्षत्र, कर्क लग्न(चर)में प्रगट प्रार्थना)
वीर(आल्हा)छंद
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(गुरु पुष्य नक्षत्र,
कर्क लग्न(चर)में प्रगट प्रार्थना)
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1-
हरित करो माँ उजड़ा उपवन,
बहे सृष्टि में सुख की धार।
उजड़े घर को रोशन करके,
शुभ धन से भरदो भंडार।।
बने हिन्द सोने की चिड़िया,
ऐसा करदो पालनहार।
दीन-दुखी के संकट हरके,
करदो माँ भारी उपकार।।
2-
सूर्य चमकते ज्यों अम्बर में,
ऐसे चमकें तेरे लाल।
नेत्र-हीन हो काल निरख के,
ऐसी क्षमता दो तत्काल।।
सूर्य-सोम-मंगल-बुध की माँ,
पीड़ा क्षण-में देना टाल।
राहु-केतु-शनि-गुरु हों शीतल,
शीघ्र-शुक्र का काटो जाल।।
3-
नष्ट करो माँ जादू-टोने,
रखो पूत की आकर लाज।
आन विराजो मन-मंदिर में,
शीघ्र बना दो बिगड़े काज।।
हमें छोड़कर मत जाओ माँ,
हो जाएगा धूमिल साज।
लड़े मौत से निर्बल पंक्षी,
दया दान दो जननी आज।।
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प्रभुपग धूल