क्रांतिवीर देश के गर्वित कीर्ति स्तंभ है : सुनीता पाठक
*क्रांतिवीर देश के गर्वित कीर्ति स्तंभ है : सुनीता पाठक*
ग्वालियर || अखिल भारतीय साहित्य परिषद मध्य भारत प्रांत द्वारा आयोजित क्रांति तीर्थ अभियान के अंतर्गत मध्य भारतीय हिंदी साहित्य सभा ग्वालियर द्वारा क्रांति तीर्थ विशेष महिला साहित्यकार गोष्ठी का आयोजन किया गया। अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन के पश्चात व्याप्ति उमड़ेकर द्वारा मां सरस्वती की वंदना एवं परिषद गीत पलक सिकरवार द्वारा प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम का संचालन युवा साहित्यकार जान्हवी नाईक ने किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार कुंदा जोगलेकर ने की। मुख्य अतिथि के रूप में कथाकार सुनीता पाठक एवं सभा अध्यक्ष डॉ कुमार संजीव मंचासीन रहे। कार्यक्रम की प्रस्तावना डॉ करुणा सक्सेना ने प्रस्तुत की एवं आभार सभा के सह मंत्री उपेंद्र कस्तूरे ने किया। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कुंदा जोगलेकर ने वीर सावरकर जी के जीवन के संघर्ष को वर्णित करते हुए कविता का पाठ किया। मुख्य अतिथि के रूप में आसीन सुनीता पाठक ने ज्ञात, अज्ञात एवं अल्प ज्ञात क्रांतिवीरों के संस्मरण सुनाते हुए अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किए। सभा अध्यक्ष डॉ कुमार संजीव ने अखिल भारतीय साहित्य परिषद मध्य भारत प्रांत द्वारा आयोजित क्रांति तीर्थ अभियान के विषय में विस्तार से बताते हुए 11 जून को शिवपुरी में आयोजित होने जा रहे क्रांतिवीर अभियान के समापन समारोह में सम्मिलित होने के लिए सभी का आह्वान किया।
क्रांति तीर्थ कार्यक्रम के अंतर्गत सभी महिला साहित्यकारों ने भारत को स्वतंत्र कराने में अपने प्राणों की आहुति देने वाले क्रांतिवीरों पर आधारित रचनाओं का पाठ किया….
“क्रांतिवीरों की तमतमाई आंखों में उतरा रक्तबिंब नीले समंदर को भी रक्तवर्णी बना देता है। आज भी… सच कितना कुछ सहा होगा मां भारती के पुजारियों ने।”
*कुंदा जोगलेकर*
“अज्ञात एवं अल्प ज्ञात शहीदों का स्मरण करें क्योंकि वे देश का गर्वित कीर्ति स्तंभ हैं। आवश्यकता इस बात की है कि भावी पीढ़ी वीर स्वतंत्रता सेनानियों के संघर्ष और जुनून की गाथा को जाने समझे और इस तरह वे स्वतंत्रता की कीमत समझकर देश की एकता अखंडता को बनाए रखने में अपना योगदान दें।”
*सुनीता पाठक*
“पृथ्वीराज चौहान जैसे वीरों की इस धरा पर नई किरणों के साथ सूर्य फिर से उगेगा।” कहानी “एक डॉक्टर का लव जिहाद”
*डॉ मंदाकिनी शर्मा*
“तुम बिन रीता लागत मेला, तुम बिन सीमा, देश अकेला
मैं ग्वाँरी तुम पर हूँ वारी, आँखन मग पोंछत दिन सारी
मैं सैनिक की छाँह हूँ, मन में धारूँ धीर
दुनिया से मुन्दकाय हूँ, मैं अँखियन की पीर”
*डॉ करुणा सक्सेना*
“रामनवमी मनाते मनाते, राम गुण गाते गाते, हर मां चाहती है कि उसका बेटा भी राम बने”
*मंजुलता आर्य*
“मातृभूमि की सेवा से बढ़कर कोई सत्कर्म नहीं
राष्ट्रधर्म के ऊपर आए ऐसा कोई धर्म नहीं”
*उमा उपाध्याय*
“वंदना भारती की वह गाती रही, क्रांति की वह मशाल जलाती रही
लक्ष्मी बाई को रेखा का सादर नमन, अपने प्राणों की आहुति चढ़ाती रही”
*रेखा दिक्षित*
“सशक्तिकरण महिला का चेहरा सरोजिनी जी के रूप में जान रहे
उनके संघर्षों के पथ से उनको राजनीति तक पहचान रहे”
*प्रतिभा दुबे*
“तपोभूमि जब हुई कारागार, स्वतंत्रता का अक्षुण्ण मंत्रोचार,
जीवन पुष्प ले कर में, किया क्रांति का जय जयकार”
*व्याप्ति उमड़ेकर*
“तीन रंग का चोला ओढ़े आए आय अमर जवान
कतरा कतरा लहू बहाया वतन की खातिर लहूलुहानसी
*पलक सिकरवार*
“जहां संवेदनशीलता और सशक्तता का संगम होता है, वहां स्त्री का जन्म होता है”
*जान्हवी नाईक*
इस अवसर पर मोनिका जैन उपस्थित रहीं एवं युवा साहित्यकार शिवम सिसोदिया ने मां पर आधारित अपनी कविता का भी पाठ किया।
By neeraj jain jhansi