जल शक्ति मंत्रालय ने तमिलनाडु में जल जीवन मिशन की प्रगति की समीक्षा की

जल शक्ति मंत्रालय ने तमिलनाडु में जल जीवन मिशन की प्रगति की समीक्षा की;

1,576 गांवों में पाइप के जरिये जलापूर्ति की मौजूदा योजनाओं की समीक्षा की आवश्यकता पर प्रकाश डाला, जहां अब तक एक भी कनेक्शन प्रदान नहीं किया गया; तमिलनाडु ने 2022-23 तक व्यापक कवरेज का लक्ष्य निर्धारित किया है

जल शक्ति मंत्रालय द्वारा सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में केंद्र सरकार के प्रमुख कार्यक्रम जल जीवन मिशन के कार्यान्वयन की प्रगति की मध्यावधि समीक्षा के तहत, तमिलनाडु के अधिकारियों ने राष्ट्रीय जल जीवन मिशन के सामने राज्य में इस मिशन की योजना और कार्यान्वयन की स्थिति वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रस्तुत की। जल शक्ति मंत्रालय राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के साथ मिलकर इस मिशन को लागू करने के लिए कार्य कर रहा है, जिसका उद्देश्य ग्रामीण लोगों विशेषकर महिलाओं और बालिकाओं के जीवन में अरुचि को कम करके सुधार लाना है। उपलब्ध केंद्र और राज्य के हिस्से के उपयोग तथा घरेलू नल कनेक्शन के संदर्भ में निर्गत आधार पर केंद्र सरकार द्वारा धन उपलब्ध कराया जाता है।

तमिलनाडु ने वर्ष 2022-23 तक सभी ग्रामीण घरों में 100 प्रतिशत नल जल कनेक्शन प्रदान करने की योजना बनाई है। राज्य में लगभग 126.89 लाख ग्रामीण परिवार हैं, जिनमें से 98.96 लाख घरों में नल जल कनेक्शन उपलब्ध नहीं कराया गया है। वर्ष 2020-21 में, राज्य सरकार ने 33.94 लाख घरों में नल जल कनेक्शन पहुंचाने की योजना बनाई है। मध्यावधि समीक्षा में 1,576 गांवों में पाइप द्वारा जलापूर्ति (पीडब्ल्यूएस) की मौजूदा योजनाओं के विश्लेषण की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया, जहां अब तक एक भी कनेक्शन उपलब्ध नहीं कराया गया है। तमिलनाडु ने दिसंबर, 2020 तक 1.18 लाख की आबादी वाले शेष बचे 236 फ्लोराइड प्रभावित बस्तियों में सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराने की योजना बनाई है। राज्य में 22.57 लाख घर जेई/एईएस की चपेट में हैं, और अब तक केवल 4.07 लाख घरों में ही नल कनेक्शन प्रदान किए गए हैं। राज्य सरकार ने आकांक्षी जिलों, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति बहुल्य गांवों, सांसद आदर्श ग्राम योजना (एसएजीवाई) के तहत गोद लिए गांवों के व्यापक विकास पर विशेष ध्यान देने का आग्रह किया है।

जल जीवन मिशन एक विकेन्द्रीकृत, मांग-आधारित, समुदाय-प्रबंधित कार्यक्रम है, स्थानीय ग्राम समुदाय/ग्राम पंचायतों या उपयोगकर्ता समूहों को गांवों में जल आपूर्ति प्रणालियों के लिए योजना, कार्यान्वयन, प्रबंधन, संचालन और रख-रखाव में दीर्घकालिक स्थिरता के उद्देश्य से महत्वपूर्ण भूमिका होती है। जल जीवन मिशन को सही मायने में आम लोगों का आंदोलन बनाने के लिए राज्य सरकार ने सभी गांवों में सामुदायिक विकास के साथ-साथ आईईसी अभियान चलाने का भी आग्रह किया है। महिला स्वयं-सहायता समूहों और स्वयंसेवी संगठनों को पानी की आपूर्ति के आधारभूत ढांचे के निर्माण के साथ-साथ उनके संचालन और रख-रखाव के लिए ग्रामीण समुदाय को संगठित करने का भी कार्य सौंपा गया है।

केंद्र सरकार प्रत्येक घर में जल की आपूर्ति के सर्वव्यापी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए राज्य सरकार को उसके प्रयासों में पूर्ण सहायता प्रदान करने हेतु प्रतिबद्ध है। वर्ष 2020-21 में, केंद्र ने जल जीवन मिशन के तहत तमिलनाडु को 921.99 करोड़ रुपए आवंटित किए हैं और राज्य के पास पहले से ही 264.09 करोड़ रुपया बचा हुआ हैं। राज्य सरकार ने आवंटित धनराशि का लाभ उठाने हेतु कार्यान्वयन में तेजी लाने और उपलब्ध धन का उपयोग करने का आग्रह किया था ताकि आवंटित धन का लाभ उठाया जा सके और केंद्रीय अनुदान खोने से भी बचा जा सके।

इसके साथ, 15वें वित्त आयोग के अनुदान का 50 प्रतिशत पंचायती राज संस्थाओं (पीआरआई) को जल और स्वच्छता पर खर्च करना है। तमिलनाडु को वित्तीय वर्ष 2020-21 में वित्त आयोग द्वारा अनुदान के रूप में 3,607 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं, जिनमें से 50 प्रतिशत यानि 1,803.5 करोड़ रुपए जल और स्वच्छता हेतु अनुदान है। इसके अलावा, राज्य को अपने उपलब्ध धन का उपयोग विभिन्न कार्यक्रमों जैसे मनरेगा, एसबीएम (जी), जिला खनिज विकास कोष, कैंपा, सीएसआर कोष, स्थानीय क्षेत्र विकास निधि, आदि में ग्राम स्तर पर समग्र योजना बनाकर विवेकपूर्ण तरीके से खर्च करना चाहिए।

2 अक्टूबर, 2020 को शुरू किए गए विशेष 100-दिवसीय अभियान के तहत सभी आंगनवाड़ी केंद्रों, आश्रमशालाओं और स्कूलों को नल से जल की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार से अनुरोध किया गया था, ताकि पीने, हाथ धोने, शौचालयों में उपयोग करने तथा मध्यान्ह भोजन पकाने के लिए इन संस्थानों में पीने योग्य पानी उपलब्ध कराया जा सके। यह अभियान इन सार्वजनिक संस्थानों में साफ पानी उपलब्ध कराने का एक सुनहरा अवसर प्रदान करता है, ताकि बच्चों को साफ पानी उपलब्ध हो सके, जिससे उनके स्वास्थ्य में सुधार एवं साथ ही समग्र विकास भी हो सके।

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