*प्रबुद्धा छंद*

*प्रबुद्धा छंद*

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रंगरेज सरकार, रंग मुझे निज रंगमें।
भूलूॅं सुध बुध आज , बसो श्याम हर अंग में।
बसो श्याम हर अंग में पिया , साथ हमारे‌ होना।
तब झिलमिल होगा भाग्य सदा , महकेगा हर कोना।।
मति मंद दामिनी मिले कहाॅं , वह नटवर गिरधारी।
मैं सारे जग मे ढूॅंढ रही, आना कुंज बिहारी।।

स्वरचित मौलिक सृजन सौदामिनी खरे दामिनी रायसेन मध्यप्रदेश ✍🏻🙏🏻

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