सिंहावलोकन दोहा मुक्तक
सिंहावलोकन
दोहा मुक्तक
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1-
भजन राम का कर रहे,
होकर प्रभुपग मौन।
मौन खड़े जो देखते,
उनकी मेधा पौन।।
पौन धरा पर लोग वे,
जो धरनी के भार।
भार भूमि का टालने,
साथ चलेगा कौन।।
2-
राम नाम है सूर्य सा,
लाता स्वर्णिम भोर।
भोर सत्य की स्वर्ण सी,
मृदु संतों का शोर।।
शोर सुने जो संत का,
हो जाता भव-पार।
पार नहीं वो हो सका,
जो है हरि का चोर।।
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प्रभुपग धूल