दिल्ली में दो दिवसीय अ. भा. वेद विज्ञान सम्मेलन का शुभारंभ

दिल्ली में दो दिवसीय अ. भा. वेद विज्ञान सम्मेलन का शुभारंभ


वेद तार्किक, व्यवहारिक और यथार्थ भी हैं- श्री ओम बिरला

अमृत काल भारत के सांस्कृतिक पुनरोत्थान का कालखंड-श्री तोमर

स्वामी चिदानंदजी, कृषि राज्य मंत्री श्री चौधरी, पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री सत्यपाल सहित गणमान्यजन शामिल

विश्व वेद परिषद् एवं परमार्थ निकेतन के तत्वावधान में आयोजित दो दिनी वेद विज्ञान महोत्सव का शुभारंभ आज लोक सभा अध्यक्ष श्री ओम बिरला के मुख्य आतिथ्य तथा केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर की अध्यक्षता में व स्वामी चिदानंद सरस्वती, कृषि राज्य मंत्री श्री कैलाश चौधरी, पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री सत्यपाल सिंह सहित अन्य गणमान्यजन की उपस्थिति में हुआ। इस अवसर पर श्री बिरला ने कहा कि वेद सिर्फ ग्रंथ नहीं हैं, बल्कि हमारी संस्कृति है। वेद तार्किक है, व्यवहारिक है और वेद यथार्थ भी है, जो आज दुनियाभर के लिए अनुसंधान का केंद्र बन चुके हैं।

मुख्य अतिथि श्री बिरला ने कहा कि वेद की जितनी व्याख्या की जाएं, कम है। वैज्ञानिकों ने भी माना है कि जो कुछ भी विज्ञान में है, वह वेद के कारण है। उस समय ऋषि-मुनियों ने अपने विचार, ज्ञान व अनुभव, जो वेद के माध्यम से समाज को दिए, वह सत्यार्थ है, सत्य है, यह आज प्रमाणित हुआ है। चाहे सामाजिक जीवन हो, मानवीय जीवन हो या राष्ट्र जीवन, जीवन की हर जिज्ञासा व आवश्यकताओं को समेटने का काम वेद में है। इसीलिए, आज हम कह सकते हैं कि वेद और विज्ञान पर अनुसंधान अनवरत चलता रहेगा, जिनमें वेदों की अलग-अलग व्याख्या होती रहेगी। वेदों ने हमें आध्यात्मिक ज्ञान व चिंतन दिया है। वेदों के चार भाग- ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद, अथर्ववेद की अलग-अलग विद्वानों ने व्याख्या की है जो सीमित दायरे में या कम शब्दों में नहीं हो सकती है। श्री बिरला ने कहा कि जीवन जीने की राह और सत्य के मार्ग पर चलने का रास्ता हम वेद-उपनिषद् से प्राप्त कर सकते हैं। भारत लोकतंत्र की जननी है, यह भी वेद-उपनिषद् से निकली है। बरसों पुराने प्रमाण है कि भारत की संस्कृति, जीवनशैली, कार्यशैली व विचारधार में हमेशा लोकतंत्र रहा है, इसीलिए मदर आफ डेमोक्रेसी के रूप में भारत की पहचान है।

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