मनहरण घनाक्षरी

मनहरण घनाक्षरी
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1-
राम नाम सुखकर,
श्याम नाम दुखहर,
हरि नाम अघ-हर,
भक्त-राज जानिए।

नित्य रटो राम नाम,
नित्य जपो घनश्याम,
सिद्ध करें प्रभु काम,
झूठ नहीं मानिए।।

भवसे उतारें पार,
सबके पालनहार,
प्रभु हैं सृष्टि के सार,
धूलि नहीं छानिए।

मत करो पाप कर्म,
नित्य करो सद्कर्म,
छोड़ो नहीं धर्म-कर्म,
ठान नहीं ठानिए।।
2-
राम नाम सत्य जान,
मत करो अभिमान,
झूठ सभी यंत्र-मंत्र,
सत्य गुरु ज्ञान है।

वेद पाठ मंत्र जाप,
व्यर्थ सभी पूजा पाठ,
दुखियों की सेवा श्रेष्ठ,
महा ज्ञान दान है।।

दीनों के सेवक बनो,
राम जी के भक्त बनो,
हरि गुण गान करो,
श्रेष्ठ हरि गान है।

मत भरो पाप-घट,
भरो भक्त पुण्य-घट,
करे जो भी सद्कर्म,
वही सत्यवान है।।
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प्रभुपग धूल

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