चूड़ी पहनो हाथ में, और स्वर्ण का हार

दोहा छंद
आधारित मुक्तक
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सन 1987 से आज तक सुगिरा श्री जुगल किशोर जु मूर्ति चोरी काण्ड में निष्क्रियता बरतने बाले अफसरों को बसंत ऋतु पर समर्पित काली चूड़ियाँ।
#महोबा
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1-
ऋतु बसंत की आ गयी,
करलो अब श्रृंगार।
चूड़ी पहनो हाथ में,
और स्वर्ण का हार।।
रिश्ता गहरा चोर से,
रखते जुगल किशोर।
चोर-चैन से सो रहे,
करके चोरी चार।।
2-
वीर महोबा में बसे,
निष्क्रिय अफसर लोग।
नहीं खोलते चोरियाँ,
लगा भ्रष्टता रोग।।
इस कारण ही चूड़ियाँ,
भेज रहा सरकार।
श्याम मित्र हैं चोर के,
शुचित रहे फल भोग।।
3-
चूड़ी काले रंग की,
पहनो प्यारे आज।
रंग यही उत्तम लगे,
जिनके काले-काज।।
फल निश्चय है कर्म का,
वात मानिए सत्य।
प्रभुपग भेजें चूड़ियाँ,
मत होना नाराज।।
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प्रभुपग धूल
लक्ष्मी कान्त सोनी
महोबा
उत्तर प्रदेश

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