अपनी-अपनी ढपली बजती, अपना-अपना राग–
जोगीरा
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अपनी-अपनी ढपली बजती,
अपना-अपना राग।
अब मत सोते रहना सज्जन,
अबतो जाओ जाग।।
जोगीरा सारा रा रा रा—–
गधा सुहाने गाना गाते,
कोयल की मत पूँछ।
जीते-जीते बाप मिटाते,
साफ़ करें निज मूँछ।।
जोगीरा सारा रा रा रा—-
पुलिस आज अपराधी बनती,
चोर बने हैं संत।
सुरा बेचते खुद राजा जी,
नहीं पाप का अंत।।
जोगीरा सारा रा रा रा—-
चोर बिताते जीवन सुख से,
सज्जन जाते जेल।
ईश्वर तेरा खेल निराला,
चोरों से है मेल।।
जोगीरा सारा रा रा रा—-
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प्रभुपग धूल
लक्ष्मी कान्त सोनी
महोबा
उत्तर प्रदेश