#महोबा अनशन

दोहा-मुक्तक
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#महोबा अनशन
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1-
अफ़सर सभी अचेत हैं,
लगते नहीं सचेत।
कलम आज रोने लगी,
नैनन भीगे खेत।।
बात बड़ी तीख़ी कही,
धसे बोल के तीर।
नहीं आज मन धीर है,
रोटी मरघट रेत।।
2-
न्याय चाँद से दूर है,
पाप बड़ा भरपूर।
अफ़सर बड़े निपान हैं,
या हैं मद-में चूर।।
न्याय नृपत मत दे सके,
पहनें चूड़ी हाथ।
न्याय मांगते लोग जो,
देखें पापी घूर।।
3-
दो हत्या की बात है,
जाने सकल जहान।
मात-पिता रोने लगे,
देखे कलम महान।।
बात महोबा की सुनो,
फैला भ्रष्टाचार।
प्रभुपग के लोचन बहे,
सिल-पर नहीं निशान।।
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प्रभुपग धूल
लक्ष्मी कान्त सोनी
महोबा
उत्तर प्रदेश

 

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