पाँच सोरठा
पाँच सोरठा
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सृजन शब्द-शब्द
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1-
शब्द-शब्द का सार,
आप लोग भी जानिए।
छन्द-छन्द का तार,
राग मध्य में मानिए।।
2-
शब्दों की है ढाल,,
छंद-छन्द की तेग है।
उपजे गुण तत्काल,
अद्भुद इसका वेग है।।
3-
करते ऐसी घात,
बिना चोट डाली झुके।
शब्दों का आघात,
रोके से भी मत रुके।।
4-
शब्द-शब्द हैं मंत्र,
वेदों में भी शब्द हैं।
छन्द-छन्द हैं तंत्र,
इस जग में उपलब्ध हैं।।
5-
शब्द सुधा सम जान,
छंदों की ये शान हैं।
शब्द गरल भी मान,
हरते क्षण-में जान हैं।।
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प्रभुपग धूल
लक्ष्मी कान्त सोनी
महोबा
उत्तर प्रदेश