प्रीत पदावली

प्रीत पदावली —-
27/02/2022

—— बोलियाँ —–

जलतरंग सी लगे बोलियाँ ।
आह्लादन करती दिव्य क्रियाएँ ,
सहेलियों की मति ठिठोलियाँ ।।

ग्राम्य -गिरा गर्वित कंठ गितोली ,
सदन सजा रही रंगोलियाँ ।
अंतर रस अठखेलियाँ दिखाये ,
भीगी हैं सभी हमजोलियाँ ।।

पावन प्राकृत सुंदरता लक्षण ,
प्रस्तुत होते बनी टोलियाँ ।
पर्वकाल पर पथिकों का रेला ,
भर पाते आनंद झोलियाँ ।।

ये समीर हर पल सम्मोहन रत ,
स्वप्निल सजती देख डोलियाँ ।
भावांजलि अर्पण कर मधुकर ,
प्रेम दान पा रही भोलियाँ ।।

आह! चीख चित्कार गूँजते क्यों
भूनी जाती आज गोलियाँ ।
हुई वासना की शिकार फिर से ,
शांत हुई रस भरी बोलियाँ ।।

 

—- रामनाथ साहू ” ननकी ”
मुरलीडीह ( छ. ग. )

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