मंदारमाला सवैया
मंदारमाला सवैया।
तगण+7-2
सृजन शब्द-सम्मान दो।
221-221-221-2
21-221-221-221-2
सम्मान दो ज्ञान दो मान लो,
आज की बात को ध्यान दो।
आओ चलो नींद से जाग लो,
सामना हो रहा आज से कान दो।
हो प्यार तो क्यों डरें जान लो,
मोत ही राज की बात है जान दो।
संसार संहार का सामना,
आज साकार होता नहीं ज्ञान दो।
हो प्यार तो जीत ही सार है साथ,
माना हमें याद आती रहीं।
जाना तुम्हारे लिए आज के आज,
वो मीत साँचा बनें तों सही।
बातें सुहानी करो और भी प्रेम,
से पेट की आग जाती नहीं।
है क्या सम्मान जो भूलता जाय,
माँ आज भी याद आती वही।
तृप्ता श्रीवास्तव।