कानपुर नगर से नफीस खान की विशेष रिपोर्ट* *#इतिहास_के_काले_पन्ने
*कानपुर नगर से नफीस खान की विशेष रिपोर्ट*
*#इतिहास_के_काले_पन्ने*
*14 Feb Velentine day Day of love ya Blackday*
*प्यार का दिन, कश्मों वादों का दिन*
*जब तुम पास होते हो तो दिल चाहता है कि वक्त रुक जाए*
*ये गुलाबी मौसम, खुशियों की बहार*
*किसे पता था एक पल में छिन जाएगा आज का दिन, शोक दिवस बन जाएगा*
14 फरवरी सन् 2019………..
इतिहास का नया पन्ना ,एक काला दिन, खौफनाक मंजर, रक्त भूमि में तब्दील सड़के,कभी न थमने वाली आंसू , बिखरे हुए परिवार, ऐसे में कैसे मनाएं हम प्यार का त्यौहार।
पुलवामा हमला
सुन सकते हो तो सुनो जरा गौर से
कश्मीर में बिखरी लहू की हर बूंद कह रही
मुझे मेरा मुकाम चाहिए।
नाम…….सलाम…… इनाम…… सब बाद में
अभी तो बस इंतकाम चाहिए……
14 फरवरी 2019 जम्मू कश्मीर श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर भारतीय सुरक्षा कर्मियों को ले जाने वाले सी. आर. पी. एफ. के वाहनों की काफिला पर आत्मघाती हमला हुआ। जिसमें करीब 40 भारतीय सेना शहीद हो गए। हमला जम्मू कश्मीर के पुलवामा जिले के अवंतिपुरा क्षेत्र में आतंकवादियों द्वारा केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के भारतीय सुरक्षा कर्मियों के काफिले को निशाना बनाकर किया गया था।
हमले को अंजाम देने के लिए आतंकवादियों द्वारा 300 किलोग्राम विस्फोटक से भरा हुआ स्कॉर्पियो इस्तेमाल किया गया। जिसे बाद में करीब 30 किलोग्राम विस्फोटक करार दिया गया। घायल सैनिकों को उक्त जगह से 20 किलोमीटर दूर श्रीनगर स्थित सेना बेस कैंप अस्पताल ले जाया गया। यह मंजर इतना खौफनाक था कि आपकी रूह तक कांप जाती। शहीदों का संपूर्ण शरीर तक नहीं मिल पा रहा था। इस हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान स्थित इस्लामिक आतंकवादी समूह जैश-ए-मोहम्मद ने ली। हालांकि पाकिस्तान ने हमले की निंदा की और जिम्मेदारी से इनकार किया।
पुलवामा हमले में जवानों की शहादत के बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा था- मेरे दिल में भी वैसी ही आग है, जैसी आपके दिल में हे। सभी आंसुओं का बदला लिया जाएगा।’ देश भर में इस कायराना हमले के खिलाफ प्रदर्शन हुए। लोगों ने एक ओर नम आंखों से शहीदों को श्रद्धांजलि दी वहीं दूसरी तरफ इसका मुंहतोड़ जवाब देने की पुरजोर मांग भी उठी।
भारत सरकार ने लोगों के दिलों में लगे आहत को एयर स्ट्राइक से शांत का मन बना लिया और पुलवामा हमले के ठीक 12 दिन बाद सुबह जब देश के लोगों की आंखें खुली तो वे खुशी से झूम उठे। 26 फरवरी को तड़के इंडियन एयर फोर्स के लड़ाकू विमान पाकिस्तान के बालाकोट स्थित जैश-ए-मोहम्मद के कैंप पर बम बरसाकर लौट चुके थे। एयर स्ट्राइक में बड़ी संख्या में आतंकवादी, ट्रेनर और सीनियर कमांडर मारे गए। इस कैंप को मसूद अजहर का साला मौलाना युसूफ अजहर संचालित कर रहा था।
यूनाइटेड नेशंस और दुनियाभर के लगभग सभी देशों ने पुलवामा हमले की निंदा की और आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई को समर्थन देने का ऐलान किया। पाकिस्तान के सदाबहार दोस्त चीन ने भी पुलवामा हमले के खिलाफ यूनाइडेट नेशंस सिक्यॉरिटी काउंसिल के प्रस्ताव का समर्थन किया। इस हमले के बाद भारत ने जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित कराने के लिए कूटनीतिक प्रयास शुरू किया, जो 1 मई को पूरा हुआ। लेकिन बाद में चीन ने अमेरिका, फ्रांस और यूके द्वारा लाए गए प्रस्ताव पर टेक्निकल होल्ड को वापस ले लिया।
हालांकि, देश के पीएम नरेंद्र मोदी की अगुआई में देश की सशस्त्र सेनाओं ने सीमापार से हुए इस हमले का मुहंतोड़ जवाब दिया लेकिन उन जवानों की शहादत की टीस आज भी बरकरार है।
उन देश के वीर जवानों ने आज मोहब्बत
को फिर से एक नया अंजाम दिया
खोलते हुए खून से भार बढ़ाती इस जवानी से
आज फिर प्यार की ही दिन ,
देश को प्यार के नाम अपने जिस्म को कुर्बान किया,
शहादत पर इनके नहाओ आंसू से देश के गद्दारों ,
झूठी राजनीति करना बंद करो मर के इन्होंने अपने देश का रोशन नाम किया।
अब सवाल यह है कि क्या घटना के 3 वर्ष बाद भी शहीद के परिवार को न्याय मिल पाया है? क्या सरकार इस हमले के मास्टरमाइंड तक पहुंच पाई है?क्या उसके बाद अन्य आतंकी घटनाएं नहीं हुई है? यदि इन सब सवालों के जबाव नहीं है, तो हमारे जवानों की शहादत बेकार जाएगी।
चिंता की बात ये है की आज भी देश में कोई घटनाएं घटती है तो सिर्फ आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरू हो जाता है। चीजों को राजनीतिक रंग में रंगने का प्रयास किया जाने लगता है। पक्ष-विपक्ष, नेशनल-एंटी नेशनल इत्यादि में लोगों को बांट दिया जाता है। इतना ही नहीं सोशल मीडिया कई ऐसे प्लेटफार्म या गोदी मीडिया के जरिए किसी दूसरे मुद्दे को हवा दे दी जाती है ताकि मासूम जनता इन सवालों में उलझ कर कहीं खो जाए और जो वास्तविक मुद्दे हैं उस से भटक जाएं।
आप सभी से निवेदन है कि इतने पर भी यदि आपके अंदर मानवता जीवित हो तो आप भी इन सवालों का जबाव ढूढंने का प्रयास कीजिएगा। सच्चाई के लिए सवाल खड़े करने का प्रयास कीजिएगा। नहीं तो आपके हक को भी आपसे छीन लिया जाएगा।
चलते-चलते आखिरी में हमारी पूरी टीम की ओर से ‘कैफ़ी आज़मी’ साहब की चंद पंक्तियों से उन जवानों को अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित करना चाहूंगा।
“रहने को सदा दहर में आता नहीं कोई,
तुम जैसे गए ऐसे भी जाता नहीं कोई ।”
जय हिंद! जय भारत! जय जवान! जय किसान!