महाराजपुर की जनता करे पुकार विधायक साशंक बने अबकी बार
*महाराजपुर की जनता करे पुकार विधायक साशंक बने अबकी बार*
*नौजवान शशांक जन अभियान पार्टी पद के विधायक बीजेपी से वरिष्ठ राज्यमंत्री दो बार इसी क्षेत्र से विधायक सतीश महाना से होगी 217 विधानसभा में जोरदार टक्कर*
अब देखना है महाराजपुर 217 की जनता क्या चाहती है बदलाव चाहती है फिर से पुराना विधायक चाहती है पानी सीवर सड़क जैसी समस्या को नहीं दिलाया निजात ऐसा विधायक चाहती है अब यह फैसला महाराजपुर की करेगी जनता नौजवान लाकर महाराजपुर में विकास करना चाहती है महिला बच्चे की या है पुकार शशांक भैया विधायक बने महाराजपुर में अबकी बार
महाराजपुर नौजवानों ने अबकी बार यह है ठना जीताकर के इस बार शशांक भैया को लखनऊ भिजवा ना है
*कानपुर* महाराजपुर विधानसभा सीट का चुनावी गणित दिलचस्प है। परिसीमन लागू होने के बाद महाराजपुर विधानसभा सीट बिल्कुल नई सीट के रूप में सामने आई थी। जिसके बाद सतीश महाना यहां से भी लगातार दो बार से जीतते आ रहे हैं
*कानपुर महाराजपुर विधानसभा सीट का मुकाबला दिलचस्प है*
*कानपुर* चुनाव डेस्क। महज 13 साल पुरानी महाराजपुर विधानसभा सीट की राजनीति बड़ी दिलचस्प है। दो चुनावों में भाजपा की ताकत यहां इतनी बढ़ गई कि विपक्षी पस्त हो गए। यहां क्षत्रप निकले सतीश महाना, जो औद्योगिक विकास मंत्री हैं। कभी कैंट सीट पर लगातार जीतते रहे महाना नई बनी महाराजपुर सीट पर भी छा गए। उनकी जीत के पीछे समीकरणों के तिलिस्म को तोड़ने के लिए इस बार विपक्षी दल पूरा जोर लगा रहे हैं। ऐसे में क्या नतीजा निकलता है,
वर्ष 2009 में नया परिसीमन लागू होने के बाद महाराजपुर विधानसभा सीट बिल्कुल नई सीट के रूप में सामने आई थी। यह पिछले दो चुनावों में भाजपा के लिए इतनी मजबूत हो गई है कि 2017 के चुनाव में सभी प्रत्याशी मिलकर भी भाजपा प्रत्याशी सतीश महाना के बराबर वोट नहीं हासिल कर सके। बर्रा में कार गिल पेट्रोल पंप के पास से यह विधानसभा क्षेत्र जीटी रोड पर फतेहपुर सीमा तक है। छावनी, सरसौल व गोविंदनगर विधानसभा सीट के कुछ हिस्से को काट कर महाराजपुर सीट बनाई गई थी। भौगोलिक रूप से इस नई सीट को जीतने के लिए भाजपा ने 2012 चुनाव में अपने सबसे अनुभवी नेता सतीश महाना को ही चुना। उससे पहले महाना कैंट क्षेत्र से चुनाव लड़ते रहे थे। हालांकि परिसीमन के बाद भी कैंट सीट बची हुई थी लेकिन, संगठन ने वहां महाना की जगह दूसरे प्रत्याशी को उतारा। नई सीट के क्षेत्र में सतीश महाना के पास अपने कैंट क्षेत्र का थोड़ा सा ही हिस्सा बचा था जो उनके घर के आसपास का था। बाकी नया हिस्सा था, जो या तो ग्रामीण था या सोसाइटी का क्षेत्र। गंगा की नदी का यह किनारा है। पहले चुनाव में भाजपा प्रत्याशी महाना को 37.99 फीसद वोट मिले। उन्होंने बसपा की शिखा मिश्रा को करीब 30 हजार वोटों से पराजित किया। शिखा, अनंत कुमार मिश्रा अंटू की पत्नी हैं। तीसरे नंबर पर रहने वालीं सपा की अरुणा तोमर ने भी 50 हजार से ज्यादा वोट हासिल किए। तीन दलों ने खूब वोट पाए लेकिन, 2017 का चुनाव एकतरफा हो गया। जो बसपा 2012 में 30 हजार वोटों से हारी थी, 2017 के चुनाव में करीब 92 हजार वोटों से पीछे हो गई। सपा की अरुणा तोमर को 38,752 वोट मिले लेकिन, वह अपनी जमानत तक नहीं बचा सकीं। बस किसी तरह बसपा प्रत्याशी मनोज कुमार शुक्ला ने अपनी जमानत बचा ली थी। सतीश महाना को जितने वोट मिले थे, उतने वोट सभी विरोधी प्रत्याशियों को मिलाकर भी नहीं मिल सके थे। शहरी, ग्रामीण और सोसाइटी वाले अविकसित मोहल्लों वाली इस विधानसभा सीट से जीते सतीश महाना को प्रदेश में औद्योगिक विकास मंत्री बनाया गया।
श्यामलाल गुप्त पार्षद व रामादेवी चौराहा क्षेत्र की पहचान : जाजमऊ पुल के आगे बढ़ते हुए सिद्धनाथ घाट, ड्योढी घाट, नजफगढ़ इस विधानसभा क्षेत्र के प्रमुख हिस्से हैं। आजादी की लड़ाई में ‘झंडा ऊंचा रहे हमारा, विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, गीत के रचनाकार श्याम लाल गुप्त पार्षद भी इसी विधानसभा क्षेत्र के नर्वल गांव के रहने वाले थे। रामादेवी चौराहा भी इसी क्षेत्र में है जहां लखनऊ, प्रयागराज और वाराणसी का रास्ता मिलता है। यही हाईवे हमरीपुर, इटावा, आगरा और दिल्ली तक भी ले जाता है। प्रसिद्ध शेरशाह सूरी तालाब भी इस विधानसभा क्षेेत्र में है।
*भाजपा को घेरने के लिए इस बार नए चेहरे*
भाजपा ने फिर से औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना को मैदान में उतारा है तो उनके सामने सभी नए चेहरे मैदान में हैं। बसपा ने सुरेंद्र पाल सिंह चौहान, सपा ने फतेह बहादुर सिंह गिल, कांग्रेस ने कनिष्क पांडेय पर दांव लगाया है। तीनों प्रत्याशी पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं।