कोटेदार गाँव का देखो , हक गरीव का खाता है।

🥀भ्रष्ट कोटेदार 🥀
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कोटेदार गाँव का देखो ,
हक गरीव का खाता है।
आखों में धूरा झोंकत है,
घटतौली का पाता है।।
बच्चों को छोड़ा ना पापी,
भ्रष्टाचारी छाता है।
पड़ी हाय वेवश की तीखी,
ईश्वर राज खुलाता है।।
कोटेदार गांव —-
कीड़े पड़ें तनन में इनके,
जीव फाइवर वाला है।
सात जन्म तक सड़ें नहीं ये,
पड़े रहें तन नाला है।।
पीढी सात सुखी ना देखें,
हारी हरदम पाला है।
लक्ष्मी शर्म टोर कें जोरीं,
पाओ फल तत्काला है।।
कोटेदार गांव—
संपत यारो सुख सें धरलो,
लेकिन विषधर काला है।
मोह कूप में जा डूबेगा,
पड़ा प्रभो से पाला है।।
षटरस भोजन होगा घर में,
लेकिन तुझको काला है।
कलियाँ कुकर्म कीं क्यों वुनता,
तेरे मौत की माला है।।
कोटेदार गांव—
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🥀प्रभु पग धूल🥀
लक्ष्मी कान्त सोनी
महोबा
उत्तर प्रदेश

 

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