जाना मत फँस चाल में, सुनो वीर हनुमान

कुंडलिया
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1-
जाना मत फँस चाल में,
सुनो वीर हनुमान।
काल नेमि है मार्ग में,
मेरा ये अनुमान।।
मेरा ये अनुमान,
कपट का जाल बिछाए।
मन में इसके पाप,
राम का नाम सुनाए।।
प्रभुपग कहना मान,
राम का ध्यान लगाना।
रहना बचके वीर,
पास मत इसके जाना।।
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2-
पावक मणि जैसी लगे,
लेकिन तीख़ी ताप।
ऐसी ही माया समझ,
उड़ जाए बन भाप।।
उड़ जाए बन भाप,
काम मत तेरे आए।
भीषण इसकी आँच,
इसे मत हाथ लगाए।।
प्रभुपग प्रभु का जाप,
करो नित होकर भावक।
छोड़ो धन का लोभ,
समझ के इसको पावक।।
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प्रभुपग धूल
लक्ष्मी कान्त सोनी
महोबा
उत्तर प्रदेश

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