मूंगफली की सरकारी खरीद में आ रही भ्रष्टाचार की

*ब्रेकिंग महोबा–मूंगफली की सरकारी खरीद में आ रही भ्रष्टाचार की बू…!*

*नेफेड एजेंसी ने व्यापरियों से खरीदा 800 कुंतल उर्द*

जनपद महोबा में मूंगफली उड़द की फसल के खरीद के लिए सरकार द्वारा सराहनीय योजना चलाई जा रही है लेकिन पीसीएफ केंद्र के प्रभारी व गोदाम प्रभारी एवं नेफेड एजेंसी के अधिकारियों द्वारा खरीददारों का माल खरीद कर किसानों की आशाओं पर पानी फेरा जा रहा है गौरतलब हो कि महोबा जनपद में तीन फसल खरीद केंद्र बनाए गए हैं तीनों खरीद केंद्र पर किसी भी प्रकार की फसल की तुलाई नहीं की जा रही है क्योंकि मूंगफली इस वर्ष कमजोर होने के कारण बारदाने की भर्ती में नहीं आ रही है महोबा जिले में बारिश ना होने के कारण सभी अन्नदाता ओं की मूंगफली में दाना कम पढ़ा जिस वजह से मूंगफली की गुणवत्ता सरकारी मानकों के अनुरूप नहीं आ रही है केंद्र प्रभारी एवं व्यापारी व ठेकेदार व अधिकारी इस अवसर को मनाते हुए दूसरे जिले से फसल लाकर गोदाम भरने में लगे हैं प्रशासन बेखबर है अब सबसे बड़ा सवाल यह पैदा हो रहा है कि उड़द की फसल जनपद महुआ में इस बार पैदावार कम हुई थी रेपुरा मंडी में नेफेड एजेंसी द्वारा व्यापारियों से 800 कुंतल उड़द की फसल खरीदी गई जिसकी अधिकारियों को कोई खबर नहीं है और ना ही कोई कागज जी अथॉरिटी है
कृषि उपज मंडी में ठेकेदार, क्रय-विक्रय समिति और नेशनल एग्रीकल्चर कॉपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (नेफेड) के अधिकारियों की मिलीभगत से मूंगफली की सरकारी खरीद में चल रहे भ्रष्टाचार के बड़े खेल को लेकर जांच कार्यवाही की मांग उठने लगी है। काश्तकारों का कहना है कि यदि भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो उच्च स्तरीय जांच करें तो महोबा में मूंगफली की सरकारी खरीद में हुए करोड़ों रूपये के घोटाले का पर्दाफाश हो सकता है।

सूत्रों की मानें तो समर्थन मूल्य पर मूंगफली की सरकारी खरीद के साथ शुरू हुए भ्रष्टाचार के इस खेल में ठेकेदार, क्रय-विक्रय समिति और नेफेड अफसरों ने मिलीभगत कर 3400 कुंतल दागी और गुणवत्ताहीन मूंगफली खरीदारों से खरीद करके बोरियों से गोदाम भर दिये। एक जागरूक काश्तकार ने बताया कि सरकारी खरीद के बाद भंडारण की गई मूंगफली के गोदामों की गहराई से जांच की जाये तो सच्चाई उजागर हो सकती है। इन गोदामों में आगे वाली ढेरियों में अच्छी क्वालिटी वाली मूंगफली की बोरियों के पीछे की ढेरियों में सैकड़ों टन दागी और गुणवत्ताहीन मूंगफली की बोरिया भरी पड़ी है।

जानकारी में रहे कि मूंगफली की सरकारी खरीद का समर्थन मूल्य 5750 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित है। इसके तहत बेदागी और उच्च क्वालिटी वाली मूंगफली खरीद की जा रही है। जबकि दागी और गुणवत्ताहीन मूंगफली का बाजार भाव 3500 रूपये प्रति क्विंटल है। दोनों के भावों में 2200 रूपये प्रति क्विंटल का अंतर है। काश्तकारों की मानें तो अच्छी क्वालिटी की मूंगफली पहले ही बाजार में बिक चुकी है। जो दागी और घटिया क्वालिटी की मूंगफली बची उसकी फर्जी गुणवता रिपोर्ट के जरिये समर्थन मूल्य पर खरीद कर गोदाम भर दिए।

यूं होती है मूंगफली की गुणवत्ता परख
सरकारी मापदंडों के अनुसार समर्थन मूल्य पर खरीद के लिये 75 प्रतिशत गोटे और 25 प्रतिशत छिलके वाली मूंगफली को गुणवत्तायुक्त मानदंडों के अनुरूप मानी जाती है। वहीं 60 प्रतिशत गोटे और 40 प्रतिशत छिलके वाली मूंगफली को गुणवत्ताहीन तथा दागी मूंगफली को भी गुणवत्ताहीन की श्रेणी में रखा गया है। इस संबंध में जब किसी खाद्य विपणन अधिकारी से वार्ता की गई तो उन्होंने कहा कि मामले की जांच कर कार्रवाई की जाएगी

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