*कानून व कार्य योजना जनहितकारी हों जातिवादी नही —आर के पाण्डेय

*कानून व कार्य योजना जनहितकारी हों जातिवादी नही —आर के पाण्डेय*
*नफीस खान*

—समाज को तोड़ने के बजाय जोड़ने का प्रयास हो।

प्रयागराज। स्वतन्त्र हिंदुस्तान के 75 वर्षीय लोकतंत्र का सबसे दुखद व आत्मघाती कदम यहां जातिवाद, वर्गवाद व धर्मवाद को बढ़ावा देना है जबकि समाज को तोड़ने के बजाय जोड़ने का प्रयास किया जाना चाहिए।
अधिवक्ता दिवस पर उपरोक्त तथ्य मीडिया के समक्ष रखते हुए वरिष्ठ समाजसेवी व हाई कोर्ट इलाहाबाद के अधिवक्ता आर के पाण्डेय एडवोकेट ने कहा कि यह न सिर्फ निंदनीय बल्कि शर्मनाक भी है कि 75 वर्ष के लोकतांत्रिक सफर के बाद भी देश मे जातिवाद, वर्गवाद व मजहबवाद चरम पर है जोकि देश के लिए आत्मघाती व विनाशकारी भी है। आर के पाण्डेय ने सुझाव दिया कि देश के कानून व उसकी सभी कार्य योजनाएं किसी विशेष जाति, वर्ग, धर्म के बजाय आम जनमानस के लिए जनहितकारी होनी चाहिए। कार्यपालिका, विधायिका व न्यायपालिका को सर्वमान्य बनाना होगा। आजादी के 75 वर्ष बाद भी यदि हिंदुस्तान में भय, भूख, भ्रष्टाचार, अपराध, अत्याचार है तो इसके लिए देश के सभी राजनैतिक दल व रणनीतिकार हैं। यदि जल्द ही सरकार, रणनीतिकार व राजनैतिक दलों ने स्वयं में सुधार नही किया तो देश एक अघोषित आत्मघाती विनाशकारी खाई की तरफ अग्रसर है जिससे बचाव हेतु एकमात्र रास्ता प्रत्येक नागरिक का कल्याण व जाति, वर्ग, मजहब से ऊपर उठकर केवल राष्ट्रहित के बारे में कार्य योजना बनाकर उसपर अमल करना होगा।

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