विभाग पर भारी एक दबंग आंगनबाड़ी
*विभाग पर भारी एक दबंग आंगनबाड़ी*
*नफीस खान*
—आदेश की अवहेलना पर भी भी अधिकारी मौन।
—8 बिंदु के नोटिस पर कोई जवाब नही।
—सुपरवाइजर, सीडीपीओ व डीपीओ की कारगुजारी का परिणाम।
विक्रमजोत, बस्ती। एक दबंग आंगनबाड़ी के आगे किस तरह समेकित बल विकास परियोजना विभाग आत्मसमर्पण कर चुका है इसका प्रत्यक्ष प्रमाण वर्षों के आरोपों के बावजूद 8 बिंदु के नोटिस का जवाब न देने पर भी पूरे विभाग का मौन रहना है।
जानकारी के अनुसार अपने माता-पिता के ग्राम प्रधानी के ग्राम पंचायत पर कागज पर वर्षों से आंगनबाड़ी के पद पर कार्यरत परन्तु अपने प्रथम पति से अलग रहते हुए व आरोपों के अनुसार गोंडा जनपद में अप्रत्यक्ष दूसरे पति के साथ बसने एवं अपने दो बच्चों को पढ़ाने के लिए तीसरे जनपद अयोध्या में रह रही सुमनलता पाण्डेय कागज पर आज भी बस्ती जनपद के विक्रमजोत ब्लॉक अंतर्गत आंगनबाड़ी केंद्र रामनगर पर कार्यरत रहकर पूरा मानदेय ले रही है।
इस बावत स्थानीय नागरिक गोपनीयता के शर्त पर बताते हैं कि यहां के एक सुपरवाइजर, सीडीपीओ व डीपीओ बस्ती के मिलीभगत से सुमनलता पाण्डेय मात्र कागज पर ही कार्यरत हैं। दूसरी तरफ विभागीय कर्मचारियों ने बताया कि 19 नवम्बर 2021 को जरिये पत्रांक संख्या 45 कुल 8 बिंदुओं पर कारण बताओ नोटिस जारी करके 3 कार्य दिवस में जवाब लेने की खानापूर्ति की गई थी लेकिन दबंग आंगनबाड़ी सुमनलता पाण्डेय अन्य जनपद में रहते हुए 11 दिन में भी जवाब नही दे सकी। उधर इस बाबत प्रश्न पर सभी अधिकारी मौन साध गए जबकि शिकायतकर्ता ने अब कोर्ट का रुख अख्तियार करने का संकेत दिया है।
क्या है पूरा माजरा?
विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कभी अपने ग्राम प्रधान रहे माता-पिता के सम्बल पर रामनगर केंद्र से आंगनबाड़ी पद पर मनोनीत सुमनलता पाण्डेय अपने प्रथम पति से अनेकों मुकदमा लड़ रही है व आईपीसी की धारा 494 के फौजदारी मुकदमे में जमानत पर है। दिलचस्प यह है कि पहले पति से बिना तलाक लिए ही सुमनलता पाण्डेय ने गोंडा जनपद में अपरोक्ष दूसरा विवाह कर लिया है व अपने दो बच्चों के साथ अयोध्या में रह रही हैं। खास बात यह है कि सुमनलता पाण्डेय के इन दोनों बच्चों की असली वल्दियत को लेकर भी सवाल उठाया गया है व पूरी नियुक्ति व कार्यशैली को ही अवैध बताया जा रहा है। उधर सुमनलता पाण्डेय पर आरोप है कि उसने समस्त तथ्यों को विभाग से छिपाये रखा है। अब एक दूसरे को बचाने के चक्कर में अधिकारियों ने मौन साधना बेहतर समझ लिया है।
क्या हैं 8 बिंदु?
बाल विकास परियोजना अधिकारी विक्रमजोत के जरिये जारी पत्रांक 45 के अनुसार आर के पाण्डेय एडवोकेट हाई कोर्ट इलाहाबाद की शिकायत पर सुमनलता पाण्डेय आंगनबाड़ी की नियुक्ति के समय उसके माता-पिता का ग्राम प्रधान का कार्य क्षेत्र, प्रथम पति से बिना तलाक लिए दूसरी अपरोक्ष शादी करने, विभिन्न मा0 न्यायालयों में चल रहे मुकदमें, आपराधिक मुकदमे में जमानत पर होने, दो पुत्रों के साथ अयोध्या में निवास करने, स्वयं के साथ दोनो पुत्रों का डीएनए टेस्ट व लाई डिटेक्टर टेस्ट तथा मोबाइल की सीडीआर जांच और आंगनबाड़ी केंद्र पर नियमित सेवाएं न दे पाने सम्बन्धी कुल 8 बिंदुओं पर लिखित जवाब हेतु कारण बताओ नोटिस जारी होने पर निर्धारित 3 कार्यदिवस में सुमनलता जवाब नही दे सकी है।
वर्तमान हालात
अब उपरोक्त बिंदुओं पर विभागीय अधिकारी दबंग आंगनबाड़ी को बचाने के चक्कर मे मौन हैं लेकिन शिकायतकर्ता ने कोर्ट का रुख अख्तियार करने का संकेत दिया है।