उपराष्ट्रपति ने लोगों से जलवायु परिवर्तन के इस काल में दीर्घकालिक जीवन शैली अपनाने का आह्वान किया
उपराष्ट्रपति ने लोगों से जलवायु परिवर्तन के इस काल में दीर्घकालिक जीवन शैली अपनाने का आह्वान किया
हमारे ग्रह का स्वास्थ्य हम सबकी पसंद और हमारे कार्यों पर निर्भर करता है: उपराष्ट्रपति
उपराष्ट्रपति ने तटीय इकोसिस्टम के लिए वन अनुसंधान केंद्र की समुद्री व्याख्या इकाई का उद्घाटन किया
उपराष्ट्रपति, श्री एम वेंकैया नायडु ने आज लोगों से पर्यावरण के प्रति जागरूक बनने और जलवायु परिवर्तन के इस काल में दीर्घकालिक जीवन शैली अपनाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि हम अपने ग्रह के स्वास्थ्य में वांछित बदलाव लाने के लिए आवश्यक संशोधन करें।
उपराष्ट्रपति ने आज विशाखापत्तनम में समुद्र तटीय इकोसिस्टम के लिए वन अनुसंधान केंद्र (एफआरसीसीई) का दौरा किया और समुद्री पर्यावरण पर ज्ञान के प्रसार और तटीय क्षेत्र में निवास कर रहे समुदायों के साथ काम करने के लिए बनाई गई संस्थान की समुद्री व्याख्या इकाई का उद्घाटन किया।
बाद में एक फेसबुक पोस्ट में, उन्होंने केंद्र की अपनी यात्रा के अपने अनुभव को याद किया और लिखा कि समुद्री व्याख्या इकाई में विभिन्न लकड़ी के नमूनों में क्षरण को उत्तरोत्तर क्रम में प्रदर्शित करने वाली प्रदर्शन इकाइयां बहुत जानकारीपूर्ण थीं। श्री नायडु को पूर्वी घाटों की पक्षी विविधता के साथ-साथ विशाखापत्तनम जिले की 114 किलोमीटर लंबी समुद्री तट रेखा के साथ मैंग्रोव से जुड़े पक्षियों की प्रजातियों से भी अवगत कराया गया।
यह केंद्र अपने संपूर्ण परिप्रेक्ष्य में समुद्री जल के अंतर्गत इमारती लकड़ी संरक्षण पर अनुसंधान के लिए देश में अकेला प्रतिष्ठान हैI श्री नायडु ने कहा कि उन्हें खुशी है कि एफआरसीसीई पूर्वी और पश्चिमी तट के मैंग्रोव और तटीय इकोसिस्टम के संबंध में वन जैव विविधता और वन आनुवंशिक संसाधन के प्रबंधन पर अनुसंधान कर रहा है। उन्होंने कहा, “मैंग्रोव इकोसिस्टम के साथ-साथ पूर्वी घाट की जैव विविधता पर उनका शोध कार्य पारिस्थितिक क्षरण और जलवायु परिवर्तन के इस काल में और अधिक महत्वपूर्ण है।”
श्री नायडु ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि केंद्र ने गरीबी को कम करने के उपाय के रूप में आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु के मछुआरों को इस क्षरण योग्य लकड़ी से निर्मित 100 परिरक्षक (प्रिजर्वेटिव)-उपचारित नौकाएं (कटमरैन) वितरित की हैं। उन्होंने फिर जोर देकर कहा कि “विज्ञान का अंतिम उद्देश्य खुशी लाना और लोगों के जीवन को बेहतर बनाना है।” उपराष्ट्रपति ने समुद्र तटीय जन समुदायों के लाभ के लिए वहां किए जा रहे अच्छे कार्यों के लिए इस केंद्र की सराहना की।