🥀मीडिया अफसर और जनता🥀

🥀मीडिया अफसर और जनता🥀
🏐आल्हा वीर छंद🏐
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बीच बजरिया गांजो बेंचें,
अंधे अफसर नहीं लखाय।
सरिता सुरा सबल है रसती,
मीडिया गूंगी नहिं बताय।।
मिलकें जुआ खिलावें दौनों,
संपत जेबन रहे भराय।
हत्या चोरी लूट करावें,
मिलकें वन्दर वांट बटाय।।
बीच बजरिया—
कइयक घटना बनी पहेलीं,
अनशन कारी हार मनाय।
अंधे वैरे गूंगे अफसर ,
उत्तर मुख सें निकसत नाय।।
सरकार दशा नैनन निरखै,
खुद मदिरा कि नदी रसाय।
लोभी सँत लालच के लाने,
शिष्टाचारी हिन्द नशाय।।
बीच बजरिया—
नशा जुआ में संपत हारी,
जीवन लागै अबतो भार।
अपराधी डोलें गैलन में,
अपराधिक जीवन में सार।।
रोजी रोटी सुरा चलावै,
अस्त्र शस्त्र की है भरमार।
नशा रूप घोड़ा पै चढ़कें,
करते पापी अत्याचार।।
बीच बजरिया—
अफसर ऐसे हमने देखे ,
कानन जुआँ रेंगते नाय।
रिश्वत भारी अफसर माँगें,
इन्द्रकांत निज जान गमाय।।
हालत सबकी जानी मानी,
काहे भैया कलम छुपाय।
लक्ष्मी अधिक बिगड़ गइ हालत,
राजा राज सुगर ना भाय।।
बीच बजरिया–
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🥀प्रभु पग धूल🥀
लक्ष्मी कान्त सोनी
महोबा
उत्तर प्रदेश

 

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