(मदिरा और हमारा देश)

(मदिरा और हमारा देश)
🥀ताटंक छंद🥀
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मधु सम मीठी मदिरा मानी,
खुद सरकार विकाती है।
कुछ लीगल है कुछ अनलीगल
सलिला सुरा रसाती है।।
अपराधी मदिरा जो पीते,
संपत सकल नशाती है।
झगड़ा घर घर भारी होते,
आफत गले लगाती है।।
मधु सम मीठी—-
शिष्टाचारी हिन्द हिरानी,
जैसी दीपक बाती है।
संपत साजन जुआ उड़ाते,
धूरा पवन उड़ाती है।।
खर्चा जब पूरे ना होते,
चिन्ता हिया समाती है।
मोतीं अपराधिक मन माने,
दुनिया अब भरमानी है।।
मधु सम मीठी—
हत्या लूट डकैती डारी,
आसन जेल सुहाती है।
जनता गलियन में अब डोलै,
लक्ष्मी राज सजाती है।।
रोजगार नर जब ना पाता,
बड़ी विकलता छाती है।
घर की हालत बच्ची देखी,
होटल गिलास धुवाती है।।
मधु सम मीठी–
बकरी बालक विपिन चराते,
तब ही भूख मिटाती है।
चाचा चाय चखाते बच्चे,
बच्ची भीख मगाती है।।
सर सरकार सुरा सरि सोही,
लक्ष्मी खूब कमाती है।
साधू सन्त शराव सराते,
अक्कल नहीं लखानी है।।
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🥀प्रभु पग धूल🥀
लक्ष्मी कान्त सोनी
महोबा
उत्तर प्रदेश

 

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