गाय की दीन दशा
🥀गाय की दीन दशा🥀
🐂ताटंक छंद🐂
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गाय हमारी माता भैया,
सबकी जानी मानी है।
मारीं मारीं गइयाँ फिरतीं,
मानव ने का ठानी है।।
दूध पिया जिस माँ का तूने,
कीमत ना पहिचानी है।
अन्ना पशू वना कर छोड़ा,
कीन्हीं अति मन मानी है।।
गाय हमारी–
मुखिया ने गौशाला खोलीं,
भारी रोकड़ वारी है।
आज सड़क पै गइयाँ डोलें,
रमा जेब में डारी है।।
गाय गुणों कि खान है होती,
तन सब देवा धारी है।
मूत्र पिये सें रोग विदा हों,
प्यारी दवा करारी है।।
गाय हमारी–
मानव की मति मन्द हुई अब,
करता अत्याचारी है।
तन में ताकत पाई जीसें,
मारी पापी आरी है।।
विच्छू जैसा माँ तन खाते,
हत्या माँ की जारी है।
लक्ष्मी मनुआ है अति व्याकुल,
लोचन सलिला जारी है।।
गाय हमारी—-
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आओ मोरे मन मोहन जू,
काहे सुरत विसारी है।
मोहन आके नीर पिला जा,
प्यासी मात तिहारी है।।
तुमने भी तो दूध पिया था,
काहे करत हसारी है।
विगड़ी सबकी किशन बनाते,
माता आज दुखारी है।।
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🐂प्रभु पग धूल🐂
लक्ष्मी कान्त सोनी
महोबा
उत्तर प्रदेश