उत्तर भारत में सनातन संस्‍था के ‘ज्ञानशक्‍ति प्रसार अभियान’ का उद़्‍घाटन समारोह संपन्‍न 

दिनांक : 10.10.2021

उत्तर भारत में सनातन संस्‍था के ‘ज्ञानशक्‍ति प्रसार अभियान’ का उद़्‍घाटन समारोह संपन्‍न

*समाज के प्रत्‍येक घटक के लिए आवश्‍यक ‘सर्वांगस्‍पर्शी ग्रंथसंपदा का लाभ लें’ ! – पूजनीय नीलेश सिंगबाळ, धर्मप्रचारक, हिन्‍दू जनजागृति समिति*

वाराणसी – सनातन संस्‍था ने अध्‍यात्‍मशास्‍त्र, सात्त्विक धर्माचरण, दैनिक आचरण से संबंधित कृति, भारतीय संस्‍कृति इत्‍यादि अनेक विषयों पर अनमोल और सर्वांगस्‍पर्शी ग्रंथ प्रकाशित किए हैं । सनातन के ग्रंथों का दिव्‍य ज्ञान समाज तक पहुंचाने के लिए संस्‍था की ओर से पूरे भारत में ‘ज्ञानशक्‍ति प्रसार अभियान’ चलाया जा रहा है । यह ग्रंथ समाज के प्रत्‍येक जिज्ञासु, मुमुक्षू, साधक इत्‍यादि तक पहुंचाकर हर किसी के जीवन का कल्‍याण हो, इसलिए यह ‘ज्ञानशक्‍ति प्रसार अभियान’ आरंभ किया गया है । अधिकाधिक लोग इन ग्रंथों का लाभ लें, ऐसा आवाहन हिन्‍दू जनजागृति समिति के धर्मप्रचारक संत पूजनीय नीलेश सिंगबाळजी ने किया है ।

पूजनीय नीलेश सिंगबाळजी ने बताया कि, सनातन की अनमोल ग्रंथसंपदा में ‘बालसंस्‍कार’, ‘धर्मशास्‍त्र ऐसा क्‍यों कहता है?’, ‘आचारधर्म’, ‘देवताओं की उपासना’, आयुर्वेद, ‘धार्मिक और सामाजिक कृतियों के विषय में ग्रंथ के साथ ही प्राकृतिक आपदाओं के समय स्‍वयं की रक्षा कैसे करें’ इत्‍यादि अनेक विषयों पर 347 ग्रंथ प्रकाशित किए गए हैं । यह ग्रंथ मराठी, हिन्‍दी, अंग्रेजी, गुजराती, कन्‍नड, तमिल, मलयालम, बंगाली इत्‍यादि 17 भाषाओं में उपलब्‍ध है । आज तक इन ग्रंथों की 82 लाख 48 हजार प्रतियां प्रकाशित की गई है । यह ग्रंथ केवल साधक अथवा श्रद्धालुओं के लिए ही नहीं, अपितु विद्यार्थी, शिक्षक, अभिभावक, गृहिणी, अधिवक्‍ता, डॉक्‍टर, पत्रकार, प्रशासकीय अधिकारी, कर्मचारी, उद्योजक, राष्‍ट्रप्रेमी इत्‍यादि सभी क्षेत्रों के जिज्ञासुओं के लिए उपयुक्‍त है ।

सनातन संस्‍था के ग्रंथों में धर्म को विज्ञान की अच्‍छी जोड दी गई है, इस कारण सामान्‍य व्‍यक्‍ति को भी ये ग्रंथ सरलता से समझ में आते हैं, ऐसे मंगळूर (कर्नाटक ) के पूर्व विधायक श्री. योगीश भट्ट ने कहा है ।

सनातन संस्‍था के सभी ग्रंथों में अध्‍यात्‍मशास्‍त्र के विषयों का सर्वार्थ से विचार किया गया है, उसे गहन विस्‍तृत अध्‍ययन की जोड होने के कारण ये ग्रंथ किसी अनभिज्ञ व्‍यक्‍ति को भी साधना करने के लिए प्रेरित करते है । सनातन के ग्रंथों के विषय में ये उद़्‍गार नाशिक के एक बडे संत प.पू. बेजन एन्. देसाई जी व्यक्त किए थे ।

इस अभियान के निमित्त पूरे देश में ग्रंथप्रदर्शन, संपर्क अभियान, ग्रंथों का महत्त्व बतानेवाले हस्‍तपत्रक, डिजिटल पुस्‍तिका, समाचारवाहिनी पर विशेष कार्यक्रम, ‘सोशल मीडिया’ द्वारा व्‍यापक प्रसार इत्‍यादि अनेक माध्‍यमों से प्रचार किया जा रहा है । इस अभियान के विषय में संतों से आशीर्वाद तथा मान्‍यवरों से  सदिच्‍छा भेट की जा रही है । सनातननिर्मित नित्‍योपयोगी ग्रंथ समाज के प्रत्‍येक घटक हेतु, साथ ही अबालवृद्धों के लिए उपयुक्‍त है । सनातन संस्‍था की ओर से आवाहन किया गया है कि यह ग्रंथ स्‍वयं क्रय कीजिए; विविध शुभप्रसंगों पर यह ग्रंथ उपाहर दें; मित्र, मित्र-परिवार, रिश्‍तेदार इत्‍यादि को भी ग्रंथ की जानकारी दें; विद्यालय – महाविद्यालय, ग्रंथालय इत्‍यादि स्‍थानों पर भी प्रायोजित करें । ग्रंथ ‘ऑनलाइन’ खरीदने के लिए SanatanShop.com इस जालस्‍थल (वेबसाईट) पर जाएं अथवा Sanatan Shop एप डाउनलोड करें, साथ ही अधिक जानकारी के लिए 9324868906 क्रमांक पर संपर्क कर सकते हैं ।

आपका नम्र,
श्री. गुरुराज प्रभु,
सनातन संस्‍था
(संपर्क : 93362 87971)

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