छप्पय छंद

छप्पय छंद
विषय-अधर
(होंठ से होंठ स्पर्श रहित)
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1-
चंचल दीजे साथ,
काल ने डाला घेरा।
गिरधर सिर धर हाथ,
शरण है डाला डेरा।।
सोहन रखना लाज,
नाथ है आशा तेरी।
कीजे आके काज,
लगाते काहे देरी।।
हरि निसदिन तेरे साथ हैं।
करते सारा काज हैं।।
हरि कण कण साधे हाथ हैं।
रखते आके लाज हैं।।
2-
काला काला रंग,
किशन हैं काले काले।
सुखकर रहते संग,
अक्ल के खोले ताले।।
करते देखो दंग,
सजा के राग सुहाना।
न्यारे न्यारे ढंग,
किशन से लगन लगाना।।
सुख सरिता लेके आइए।
गंगा जैसी धार हो।
आकर के रहस रचाइए,
राधा जैसी नार हो।
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प्रभुपग धूल
लक्ष्मी कान्त सोनी
महोबा
उत्तर प्रदेश

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